रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षा के अधिकार की समीक्षा कर दी है। विभाग के मुताबिक शिक्षा का अधिकार अनिवार्य रूप से इंग्लिश मीडियम का निजी स्कूल नहीं बल्कि शिक्षा तक बच्चे की पहुंच है। अब इस कानून के तहत पहले सरकारी, फिर सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल और फिर भी यदि बच्चे बच गए तब उन्हें निजी क्षेत्र के स्कूलों में दाखिला दिलाया जा सकता है। इस परिवर्तन के बाद सरकार के पैसे भी बचेंगे क्योंकि निजी स्कूलों में दाखिल गरीब बच्चों का खर्च शासन को वहन करना होता था। read more
गौरतलब है कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत अब तक निजी स्कूलों को 25 फीसदी सीटें रिक्त रखने के लिए कहा जाता था जिसपर गरीब बच्चों को प्रवेश दिलाया जाता था। इसके लिए नोडल अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को आवेदन देना पड़ता था। पर अब आरटीई कानून के तहत गरीब परिवार के बच्चों को अमीरों के स्कूल में प्रवेश नहीं मिलेगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रवेश नियमों में बड़ा फेरबदल कर दिया है। अब शिक्षा के अधिकार के तहत आवेदन आने पर सबसे पहले सरकारी स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिलाया जाएगा। उसके बाद अनुदान प्राप्त स्कूलों की सीटें भरी जाएंगी। इन स्कूलों की सीटें भर जाने के बाद ही बाकी बच्चों का प्रवेश प्राइवेट स्कूल में कराया जाएगा। सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों की सीटें कभी फुल ही नहीं होती। ऐसे में प्राइवेट स्कूल में दाखिले के लिए बच्चे ही नहीं रहेंगे। इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से नियमों में बड़ा बदलाव कर बच्चों की सरकारी योजना के तहत प्राइवेट स्कूलों में एंट्री ही बंद कर दी गई है।
आरटीई के तहत आवेदन की प्रक्रिया एक-दो दिन से शुरू हो जाएगी। 30 मई तक लोगों को अपने बच्चों का आवेदन जमा करना होगा। 5 जून तक प्राप्त आवेदनों की स्क्रूटनी की जाएगी। 15 जून तक प्रवेश की सूची जारी कर दी जाएगी। यह सार्वजनिक कर दिया जाएगा कि किस बच्चे को कौन से स्कूल में प्रवेश दिया गया है। शिक्षा के अधिकार के तहत 2010 से गरीब बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। पिछले साल से ही नियमों में बदलाव की मांग को लेकर हलचल शुरू हो गई थी। नया शिक्षा सत्र शुरू होने के पहले ही यह माना जा रहा था कि नियमों में बदलाव किया जाएगा। बड़े प्राइवेट स्कूल पहले से इस नियम के विरोध में थे। माना जा रहा है कि उनके दबाव में ही पूरा नियम बदला गया है।
नर्सरी में प्रवेश के लिए पेंच
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश में नर्सरी में प्रवेश को लेकर असमंजस की स्थिति है। आदेश में शिक्षा के अधिकार के तहत प्रवेश देने को लेकर स्पष्ट गाइड लाइन नहीं है। उसमें चयन कैसे होगा और किस आधार पर बच्चों के लिए स्कूल का चयन किया जाएगा? यह भी स्पष्ट नहीं है। हालांकि शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि पिछले साल की तरह प्रक्रिया अपनाकर बच्चों को नसर्री में प्रवेश दिलाया जाएगा।
अब ऐसे होगा दाखिला
गरीब परिवारों से शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी स्कीम के जरिये पढ़ाई करवाने के लिए आवेदन लिए जाएंगे। आवेदनों की सूची बनाकर उसकी लॉटरी निकाली जाएगी। उसके बाद सरकारी स्कूलों में खाली सीटों की जानकारी ली जाएगी। खाली सीटों के आधार पर बच्चों को प्रवेश दिलाया जाएगा। सरकारी स्कूल की सीटें भर जाने के बाद अनुदान प्राप्त स्कूलों के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। वहां की सीटें भर जाने के बाद प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया की जाएगी।
पहले कैसे होता था प्रवेश
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पहली कक्षा में प्रवेश के लिए गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों से आवेदन लिए जाते थे। आवेदन में यह भी पूछा जाता था कि वे अपने बच्चे को कौन से स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते हैं। उसके बाद उस स्कूल की 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों में आवेदन के आधार पर प्रवेश दिलाया जाता था। खर्च शिक्षा विभाग वहन करता था।