भोपाल। डिडौरी की कलेक्टर छवि भारद्वाज के प्रयासों से नक्सल पीड़ित क्षेत्र के बच्चों के जीवन में नया सवेरा आया है। यहां के 10 बच्चों ने इस बार आईआईटी मेंस की परीक्षा दी जिसमें से छह बच्चों का चयन आईआईटी एडवांस के लिए हो गया है। साल भर पहले यहां की कलेक्टर छवि भारद्वाज ने इन बच्चों के लिए एक विशेष कोचिंग शुरू की है, जो पटना की सुपर-30 की तर्ज पर काम कर रही है। पहले ही साल में कोचिंग को अच्छी खासी सफलता भी हाथ लगी है। कोचिंग के छह बच्चों ने आईआईटी एडवांस के लिए क्वालिफाई कर लिया। भारत सरकार के इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान के तहत बनी यह कोचिंग बच्चों के नि:शुल्क रहने और भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध करा रही है।
डिंडौरी कलेक्टर छवि भारद्वाज बताती हैं, ‘कोचिंग में 100 बच्चों को एडमिशन दिया जाता है। मेडिकल और आईआईटी जैसी राष्ट्रस्तरीय परीक्षा की तैयारी कराने के लिए डिंडौरी में अच्छी फैकल्टी मौजूद नहीं है, इसलिए हमने कोटा की एक कोचिंग से टाईअप किया है। उस कोचिंग की फैकल्टी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हिन्दी में रोज बच्चों की क्लास लेती है। रोजाना करीब छह घंटे की क्लास वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही होती है। ‘
छवि भारद्वाज ने बताया, ‘कोचिंग में करीब 85 प्रतिशत स्टूडेंट्स आदिवासी और दलित हैं। कोचिंग के साथ-साथ उन्हें हॉस्टल की सुविधा भी नि:शुल्क दी जाती है। सितंबर 2014 में हमने यह कोचिंग शुरू की थी इसलिए तब 12वीं क्लास के ज्यादा बच्चों ने कोचिंग ज्वाइन नहीं की थी। इस साल से 50 बच्चे ग्यारहवीं और 50 बच्चे बारहवीं क्लास से लिए जाएंगे।’
कलेक्टर भारद्वाज ने बताया कि पहले यहां एंट्रेंस के लिए 75 मार्क्स की शर्त थी जिसे अब हटा दिया गया है। इस साल कोचिंग के दस स्टूडेंट्स ने आईआईटी मेंस परीक्षा दी थी, जिसमें से छह लोगों ने आईआईटी एडवांस के लिए क्वालीफाई कर लिया है। अब उन्हें आईआईटी एडवांस के लिए तैयार किया जा रहा है।