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साइंस कालेज में क्षमता विकास पर कार्यशाला

May 11, 2015
science college durg

दुर्ग। क्षमता विकास किसी भी शैक्षणिक संस्था के प्रगति पथ का महत्वपूर्ण घटक होता है। यह निष्कर्ष आज प्राचार्योें एवं प्राध्यापकों की कार्यशाला में उभरकर सामने आया। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग में उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन एवं राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के सहयोग से आयोजित क्षमता विकास पर केंद्रित कार्यशाला में आज प्राध्यापकों एवं प्राचार्यों ने एकमत होकर क्षमता विकास पर गहन विचार मंथन किया। चार वृहत समूहों में विभाजित लगभग 60 से अधिक प्रतिभागी प्राध्यापकों ने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया।
भिलाई, दुर्ग, रायपुर, गोबरा नवापारा आदि क्षेत्रों से पधारे शासकीय, शासकीय अनुदान प्राप्त एवं अशासकीय महाविद्यालय के प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों ने अपने-अपने महाविद्यालयों की समस्याओं एवं उनके निदान हेतु किये जाने वाले आवश्यक प्रयासों का भी उल्लेख किया। क्षमता विकास के प्रमुख घटकों विद्यार्थियों का विकास, शिक्षकों की क्षमता विकास तथा संस्थागत क्षमता विकास पर प्रतिभागियों को वितरित प्रश्नोत्तरी के आधार पर विभिन्न महाविद्यालयों के प्रतिभागियों ने अपने विचार रखे।
principals and faculties bhilai durgइससे पूर्व क्षमता विकास के परिचय एवं मुख्य थीम पर आधारित पावर पाइंट प्रस्तुतिकरण महाविद्यालय आईक्यूएसी के सदस्य डॉ. प्रशान्त श्रीवास्तव ने दिया। कार्यशाला के प्रमुख वक्ता कल्याण महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. डी.एन.शर्मा ने क्षमता विकास के विभिन्न पहलुओं का गहराई से विश्लेषण किया। उन्होंने लीडरशिप क्षमता, टीम भावना, स्वस्फूर्त होकर कार्य करना, अन्य शैक्षणिक संस्थाओं से सहयोग, विषय के प्रति गंभीरता आदि विषयों को महत्वपूर्ण घटक बताते हुए उपस्थित प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों से इन तथ्यों को ध्यान में रखकर क्षमता विकास करने का आव्हान किया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशीलचन्द्र तिवारी ने स्वागत भाषण में उच्च शिक्षा विभाग की इस पहल को सकारात्मक बताते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला एवं सेमीनार के आयोजन से निश्चित रूप से प्राध्यापकों एवं प्राचार्यों में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। महाविद्यालय आईक्यूएसी की संयोजक डॉ. नीरजा रानी पाठक ने कायर्षाला की प्रमुख विषय वस्तु पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए वर्तमान समय में इसे अति प्रासंगिक बताया।
चार समूहों में विभक्त प्राध्यापकों के विचारों को एकजाई करने में आईक्यूसी के डॉ के पद्मावती, डॉ शाहीन गनी, डॉ ज्योति धारकर, डॉ सपना शर्मा, डॉ अंजली अवधिया, डॉ प्रज्ञा कुलकर्णी, डॉ जय प्रकाश साव, डॉ अनिल कश्यप, डॉ एसआर ठाकुर की मुख्य भूमिका रही। शासकीय डीबी गर्ल्स कालेज रायपुर की प्राध्यापक डॉ उषा किरण अग्रवाल ने द्वितीय सत्र में क्षमता विकास पर विभिन्न आवश्यक पहलुओं का विश्लेषण किया। प्राध्यापकों के समूहों के चार टीम लीडर डॉ महेशचन्द्र शर्मा, प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय वैशाली नगर, डॉ आनंद विश्वकर्मा, प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय बोरी, डॉ अमृता कस्तूरे, भिलाई-3 महाविद्यालय, डॉ डीआर भावनानी, डॉ शकील हुसैन ने अपने अपने समूहों में विचार मंथन के पश्चात प्राप्त निष्कर्षों को प्रस्तुत किया। प्राध्यापकों के विचारों के निष्कर्षों का संक्षेपीकरण प्रोफेसर जयप्रकाश साव ने प्रस्तुत किया। प्राध्याकों द्वारा किए गए विचार मंथन के पश्चात अपर्याप्त संसाधन एवं सीमित अधोसंरचना के बावजूद छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, अकादमिक एवं प्रशासनिक निगरानी रखने, संस्थागत क्षमता विकास हेतु विभिन्न निर्णयकारी समितियों का गठन तथा अकादमिक आॅडिट कराए जाने पर सभी ने सहमति व्यक्त की। प्राध्यापकों के शिक्षण कौशल तथा संप्रेषण क्षमता बढ़ाने एवं विषय की रुचिकर ढंग से प्रस्तुति तथा उच्च शिक्षा में शोध एवं अनुसंधान पर भी प्रतिभागियों ने विचार व्यक्त किए। शिक्षण प्रक्रिया में छात्रों एवं प्राध्यापकों की सहयोगी भूमिका, छात्रों की भाषिक क्षमता के विकास हेतु विशिष्ट प्रयास किये जाने पर सभी ने बल दिया। वर्तमान शिक्षा पद्धति में सूचना एवं संचार तकनीकी के उपयोग सामाजिक संवेदनशीलता तथा अन्य संस्थानों से सहयोग हेतु भी प्रयास करने का सभी उपस्थित प्राध्यापक प्रतिभागियों ने समर्थन किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ के पद्मावती ने किया।

One thought on “साइंस कालेज में क्षमता विकास पर कार्यशाला”
  1. nice workshop. this type workshop is organised for NGO to capacity building sir ji. should be think this plane.

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