दुर्ग। किसी भी शिक्षक का पढ़ाया हुआ प्रतिभावान विद्यार्थी ही उसकी वास्तविक पूंजी होता है। ये उद्गार नवस्थापित दुर्ग विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. एन.पी. दीक्षित ने आज व्यक्त किये। प्रो. दीक्षित शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के विवेकानंद आॅडियो विजुअल हॉल में महाविद्यालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में बड़ी संख्या में उपस्थित प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। प्रो. दीक्षित ने कहा कि दुर्ग विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले समस्त महाविद्यालयों में उच्चशिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने तथा विद्यार्थियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जायेगा। इस संबंध में प्रो. दीक्षित ने भविष्य में गठित होने वाले छात्रसंघ के पदाधिकारियों से भी रचनात्मक भूमिका अदा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दुर्ग विश्वविद्यालय फिलहाल अपनी शैशव अवस्था में है तथा इस विश्वविद्यालय को देश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों की श्रेणी में लाने हेतु हममे से प्रत्येक को ईमानदारी तथा लगन से अपनी भागीदारी निभानी होगी। Read More
प्रो. दीक्षित ने अपने दीर्घ शैक्षणिक जीवन के अनुभव सुनाते हुये इस बात पर जोर दिया कि शालेय शिक्षा से लेकर महाविद्यालयीन शिक्षा तक एक सामंजस्य की आवश्यकता है, और वे इस दिशा में प्रयास करेंगे, कि जिला शिक्षा अधिकारी, विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्राचार्य तथा शिक्षाविदों की बैठक आयोजित कर उच्चशिक्षा के वर्तमान स्वरूप को और अधिक प्रासंगिक एवं रोजगार उन्मुखी बनाने हेतु कैसे प्रयास किये जाये।
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. दीक्षित का पुष्पगुच्छ से स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. शीला अग्रवाल एवं मुख्य लिपिक राधेलाल यादव ने किया। प्राचार्य प्रो. सुशील चन्द्र तिवारी ने प्रो. दीक्षित को बधाई देते हुए कहा कि तामस्कर महाविद्यालय परिवार के इतिहास में प्रथम बार किसी सदस्य ने कुलपति के पद को सुशोभित किया है। यह पूरे महाविद्यालय परिवार के लिए गर्व का विषय है। डॉ तिवारी ने आशा व्यक्त की कि प्रो. दीक्षित के मार्गदर्शन में दुर्ग विश्वविद्यालय अनेक उपलब्धियों को हासिल करेगा। डॉ तिवारी ने प्रो. दीक्षित को विश्वास दिलाया कि दुर्ग विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रशासनिक एवं शैक्षणिक कार्यों में तामस्कर महाविद्यालय अपनी रचनात्मक भूमिका अदा करेगा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रो. दीक्षित की सहजता एवं सरलता का जिक्र करते हुए उन्हें समय का पाबंद एवं सदैव छात्रहित में सोचने वाला प्राध्यापक निरूपित किया। अर्थशास्त्र विभाग के डॉ ए के खान ने प्रो. दीक्षित के साथ बिताए क्षणों का याद करते हुए उन्हें दूरदृष्टा तथा यथार्थ में कार्य करने तथा प्रशासनिक पकड़ रखने वाला व्यक्ति बताया। रसायन शास्त्र के प्राध्यापक प्रो. व्ही एस गीते ने प्रो. दीक्षित से आह्वान किया कि नये विश्वविद्यालय में कागजी कार्यवाही को सीमित करते हुए देश के अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की तरह कम्प्यूटराइज्ड कार्यप्रणाली पर जोर दिया जाए। हिन्दी के प्राध्यापक प्रो. जय प्रकाश साव ने आगामी छात्रसंघ चुनाव के आयोजन के संबंध में प्रश्न पूछा। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ शीला अग्रवाल ने किया।
दिक्षित सर मुझे दुर्ग साइंस कॉलेज में मुझे फिजिक्स पढाते थे. अत्यंत ज्ञानी और शिक्षा प्रेमी हैं सर. उनका पढाया गया Calculus, मुझे आज भी मुंह जबानी याद है. सर दिशा दें और निर्माण करें !! समाज आप के साथ है.
Aapko Bahut bahut Badhai evam Shubhkamna DIXIT sir ji**………aapka karyakaal shresth rahe accha rahe yehi kamna karte hai *** p.valsan(BJP) bhilai
congratulations sir
i passed out in 1982
Dixit sir was our physics professor
he teach us about Optics
congratulation sirji.aapke margdarshan me kam karne ka awsar milega.research ke madhyam se college development karega.thanks sirji