रायपुर। देश आज भी मेकाले की शिक्षा प्रणाली से मुक्त नहीं हो पाया है जिससे कारण रटने में माहिर विद्यार्थी अधिक अंक पाकर आगे हो जाते हैं और प्रतिभाएं कुंठित होकर अधिक संघंर्ष के लिए विवश हो जाती हैं। विज्ञान प्रसार तथा छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच द्वारा प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से आयोजित 4 दिवसीय ‘भौतिक शास्त्र में नवप्रवर्तक प्रयोग’ विषयक कार्यशाला के समापन के अवसर पर छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ बी के स्थापक ने मुख्य अतिथि की आसंदी से उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षण विधियों में परिवर्तन कर ‘करो और सीखोÓ गतिविधि आधारित अनुभवनात्मक शिक्षा की पद्दत्ति को अपनाये जाने की आवश्यकता है. विद्यार्थियों में रचनात्मकता, नवप्रवर्तन व बुद्धिमता के विकास के लिए मेकाले की बाबू बनाने वाली प्रणाली में बदलाव देश-हित में है।
रायपुर के शासकीय नागार्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय में संपन्न इस कार्यशाला के समापन कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रसिद्द पत्रकार रमेश नैयर ने कहा कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली विद्यार्थी को गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं कर पाती है. उन्होंने प्रतिभागी शिक्षकों से बच्चों में ज्ञान-विज्ञान के प्रति ऐसी रूचि विकसित करने को कहा जिससे बच्चे ज्ञान के समुद्र में गोता लगाने की मानसिकता बना सकें।
आरम्भ में छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो डी एन शर्मा ने कार्यशाला की गतिविधियों की चर्चा करते हुए बतलाया कि सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया व कोरबा जिले के 53 शिक्षकों ने प्रशिक्षण में अर्जित कौशल को कक्षाओं में आजमाने का वादा किया है।
छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच की सचिव डॉ भव्या भार्गव ने आभार व्यक्त करते हुए प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की. अतिथियों द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र व प्रायोगिक किट भी प्रदान की गई. इस अवसर पर शासकीय नागार्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय के भौतिक विभाग के अध्यक्ष डॉ प्रवीण देवांगन, दुर्ग के शास. महाविद्यालय के भौतिक विभाग की अध्यक्ष डॉ अंजू अवधिया, बी एल मलैय्या, डॉ समीर ठाकर, प्रो सिद्दीकी सहित कई प्रध्यापकगण उपस्थित रहे।