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स्वरुपानंद महाविद्यालय में विज्ञान परिषद् का गठन

Sep 9, 2016

swaroopanandभिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको में विज्ञान परिषद् का गठन डॉ. एस.बी. नंदेश्वर, प्रमुख वैज्ञानिक, आईसीएआर, सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च, नागपुर (महाराष्ट्र) के मुख्य आतिथ्य एवं महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.(श्रीमती) हंसा शुक्ला की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। विज्ञान परिषद् प्रभारी डॉ. (श्रीमती) अलका मिश्रा ने विगत वर्ष में शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
नवगठित परिषद् के पदाधिकारियों को शपथ दिलाते हुए प्राचार्या डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा विज्ञान परिषद् के माध्यम से हम छात्रों को महाविद्यालय में सालभर चलने वाली गतिविधियॉं जैसे – सेमीनार, वर्कशॉप, साईंस क्वीज आदि में उनकी सहभागिता को सुनिश्चित कर उन्हें भविष्य के लिए सही मार्गदर्शन दे सकते हैं। विद्यार्थी अपनी समायोजन क्षमता को बढ़ाकर अपने बौद्धिक स्तर को सुधार सकते हैं। उन्होंने बताया कि परंपरा और साहित्य भी विज्ञान का एक रुप हैं और यही पुरातनकाल से चली आ रही हैं। विज्ञान विचारात्मक विषय होता हैं और दैनिक जीवन में भी हम जो भी काम कर रहे है, उसके पीछे कोई न कोई कारण होता है तो उसके कारण को पहचाने बिना किसी उद्देश्य के किया गया काम कभी सफल नहीं होता है। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि भविष्य में विज्ञान का ऐसा उपयोग करो कि विज्ञान से समाज को लाभ मिले।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. एस.बी. नंदेश्वर ने अपने उद्बोधन में कहा कि विज्ञान का क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत है और स्नातकोत्तर के बाद छात्र अपने ईच्छा के अनुसार एकेडमिक या इंडस्ट्रिज सेक्टर का चयन कर सकते हैं। एकेडमिक चयन में उच्च शिक्षा जैसे पी.एचडी/नेट/जेआरएफ/एसआरएफ की परीक्षा पास करके शिक्षण क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं अथवा इण्डस्ट्रीज स्तर पर क्वालिटी कण्ट्रोल ड्रग विकास और अन्य प्रकार के रोग निवारण संबंधी दवाई बना सकते हैं।
उन्होंने अपने आतिथ्य उद्बोधन में कहा विद्यार्थियों को जीवन में कड़ी संघर्ष और सजग रहने के लिये प्रेरित किया। एआरएस-प्री और मेन्स परीक्षा पास करने के सुझाव दिये और बताया कि पैसे की कमी छात्रवृत्ति द्वारा पूरी कर सकते हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में बायोटेक्नोलॉजी के रोजगार अवसर के बारे में बताया। आप अपने एक छोटे से अविश्कार को पेटेण्ट करा सकते है जो उस अविश्कार के दुरुपयोग को सुरक्षित करता हैं इसके लिये विभिन्न प्रकार के डिप्लोमा कोर्सेस होते हैं। विद्यार्थियों में जिज्ञासा जागृत करना बहुत अधिक आवष्यक है जो उन्हें सही मार्गदर्षन प्रदान करे।
कार्यक्रम में मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. साक्षी मिश्रा (माइक्रोबायोलॉजी) द्वारा किया गया। श्रीमती शिवानी शर्मा, कार्यक्रम प्रभारी डॉ. अलका मिश्रा, डॉ. रजनी मुदलियार, स.प्रा. योगेश देशमुख, स.प्रा. रिन्सी मैथ्यू और विज्ञान संकाय के समस्त छात्र-छात्राएॅं उपस्थित रहें।

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