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स्वरुपानंद महाविद्यालय में मना हिन्दी सप्ताह

Sep 15, 2016

swaroopanand-hindi-diwasभिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित हिन्दी सप्ताह का समापन समारोह डॉ. सियाराम शर्मा प्रो. – हिन्दी विभाग, शासकीय महाविद्यालय, उतई के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने की। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. श्रीमती सुनीता वर्मा थी। सप्ताह भर चलने वाले विविध कार्यक्रमों में चयनित विद्यार्थियों को मैडल एवं प्रमाण पत्र वितरित किया गया। मंच संचालन श्रीमती नीलम गांधी विभागाध्यक्ष वाणिज्य ने एवं धन्यवाद ज्ञापन साहित्य परिषद् की सचिव कु. मौसमी डहारे बी.सी.ए. – द्वितीय वर्ष ने किया।swaroopanand-hindi-diwas1कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये डॉ. श्रीमती सुनीता वर्मा ने कहा हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस मनाने का मूल उद्देश्य लोगों को हिन्दी प्रयोग के लिये प्रेरित करना हैं। हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। हिन्दी को आगे बढ़ाना है तो उसे शिक्षा व रोजगार की भाषा बनाना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की हिन्दी दिवस स्वतंत्रता व गणतंत्र हिन्दी दिवस को भी राष्ट्रभाषा दिवस के रुप में मनायेंगे।
प्राचार्या डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने हिन्दी परिषद् के सदस्यों के पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई एवं छात्रों को उद्बोधित करते हुये कहा हिन्दी दिवस मात्र औपचारिक नहीं होना चाहिए। हम भाषा को पिंजरे में बंद कर नहीं रख सकते। हिन्दी को जब तक हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग नहीं करेंगे, तब तक इसका विकास संभव नहीं हैं। फ्रांस, रुस, जर्मनी को हम कभी उनकी भाषा दिवस मनाते नहीं देखा हैं। लोग हिन्दी को दिल से अपनायेंगे, तो हमें हिन्दी दिवस मनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सियारामशरण शर्मा ने महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की सराहना करते हुये कहा आज भी हम मानसिक रुप से गुलाम है, देष अगर शारीरिक रुप से गुलाम रहे, पर भाषा आजाद रहेगी, तो आज नहीं तो कल हम आजादी प्राप्त कर लेंगे।
उन्होंने बताया भारतीय संविधान में आजादी के समय चौदह मान्यता प्राप्त भाषा थी अब वह बढ़ते जा रही हैं। एक राष्ट्रभाषा हमेशा देश को एकता के सूत्र में बांधता है जैसे तिरंगा देश की पहचान है वैसे ही भाषा भी देश की पहचान है। किसी देश को गुलाम बनाना है तो उसके भाषा को नष्ट कर दो, लार्ड मैकाले ने यही किया। उन्होंने हमारी प्रारंभिक शिक्षा में अंग्रेजी को अनिवार्य कर दिया फलत: देश धीरे-धीरे मानसिक गुलामी की ओर बढ़ता गया। आजादी के बाद हिन्दी को देश की राजभाषा घोषित किया गया पर उन्होंने यह शर्त लगा दी अंग्रेजी भी 15 वर्ष तक साथ-साथ चलती रहेगी पर आजादी के सत्तर वर्ष बाद भी वे पंद्रह वर्ष पूरे नहीं हुए हैं।
समापन समारोह में प्रश्न मंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यार्थियों से हिन्दी संबंधित प्रश्न पूछे गये। जिसमें चित्र दिखाकर मुहावरे पहचानिये, हिन्दी को राजभाषा कब घोषित किया गया, राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन थे, संविधान में कितनी मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं, बकरी को छत्तीसगढ़ी में क्या कहते है, टमाटर को छत्तीसगढ़ी में क्या कहते हैं आदि प्रमुख थे। इस कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि ने विविध प्रतियोगिता में चयनित प्रतिभागियों को मैडल व प्रमाण पत्र वितरित किये। पुरस्कृत प्रतिभागियों के नाम हम इस प्रकार है –
स्लोगन- प्रथम मौसमी डहारे, द्वितीय – श्रद्धा तरजुले, तृतीय – जानकी जंघेल, सांत्वना पुरस्कार – संदीप कुमार, सैनिक में प्रथम – विद्या देवी, द्वितीय – स्वाति देशमुख, तृतीय अर्चना, सांत्वना – श्रद्धा तरजुले।
कार्टूनिंग – स्वच्छ भारत अभियान प्रथम आयुषी गोस्वामी, श्रद्धा तरजुले, स्मिता मिंज, सांत्वना नैन त्रिवेदी, पोस्टर प्रथम – स्मिता मिंज, मनीशा दारो, अर्चना एवं सांत्वना – श्रद्धा तरजुले।
प्रश्न मंच में प्रथम संस्कृत समूह (विज्ञान संकाय), द्वितीय – पाली समूह (वाणिज्य संकाय), तृतीय – प्राकृत समूह – बी.सी.ए. को प्राप्त हुआ।
साहित्य परिषद की सूची इस प्राकर है अध्यक्ष – पूनम सिंग (बी.एस.सी. – तृतीय वर्ष), उपाध्यक्ष – मौसमी डहारे – (बी.सी.ए. – द्वितीय वर्ष) सचिव – आयुशी गोस्वामी – (बी.कॉम – तृतीय वर्ष) सहसचिव – विद्या देवी – (एम.एस.सी. – प्रथम सेम.), सदस्य -ई. मनीशा, एम. गामिनी, मनीष दारो, सुकृति, सुधा गुप्ता, कृतिका गीते।

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