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छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों की दक्षता की हुई सराहना

Oct 26, 2016

ROK_1333साइंस कालेज दुर्ग में डीएसटी इंस्पायर प्रोग्राम
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों में अभूतपूर्व दक्षता है। जिस तरह के स्तरीय प्रश्न वे तकनीकों सत्रों के दौरान विषय विशेषज्ञों से पूछ रहे हैं। यह छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के सुखद भविष्य की तरफ इशारा करता है।
ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में चल रहे पांच दिवसीय डीएसटी इन्स्पायर प्रोग्राम में पधारे देश के ख्याति प्राप्त आमंत्रित वैज्ञानिकों एवं प्राध्यापकों ने व्यक्त किये। विशेषज्ञों की राय मेंं विद्यार्थियों को इन्स्पायर प्रोग्राम में आकर निश्चित रूप से फायदा हुआ है। आपसी सकारात्मक प्रतिस्पर्धा एवं विषय को सीखने की ललक प्रतिभागी विद्यार्थियों में स्पष्ट दिख रही है।
ROK_1326विषय विशेषज्ञ मुंबई आईआईटी के डॉ. सोमेश कुमार, मुंबई इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के प्रोफेसर विजय मेंदुलकर, शारदा वि.वि. ग्रेटर नोयडा के डॉ. एन.बी. सिंह, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के डॉ. श्रीकुमार आपटे, अलीगढ़ मुस्लिम वि.वि. के अली मोहम्मद, हैदराबाद के डॉ. अमिताभ चट्टोपाध्याय, सेंट जेवियर्स कालेज, अमहमदाबाद के डॉ. उदयन प्रजापति, गुजरात वि.वि. अहमदाबाद के डॉ. किशोर चिखलिया आदि ने डीएसटी प्रोग्राम के फीडबैक में प्रतिभागी विद्यार्थियों के परफार्मेंस की प्रशंसा की। व्याख्यानों के दौरान विद्यार्थियों के प्रश्नों ने विषय विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। इन प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में डी.ए.व्ही. स्कूल, बिलासपुर, सेंट्रल स्कूल, दुर्ग, हिमशिखर विद्यालय, डीपीएस दुर्ग, डीएव्ही हुडको भिलाई, शकुन्तला विद्यालय भिलाई तथा जवाहर नवोदय विद्यालय सूरजपुर के विद्यार्थी शामिल थे।
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुंबई के डॉ. श्री कुमार आपटे ने यूरेनियम की रिकवरी में सूक्ष्म जीवाणु की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने रोचक व्याख्यान में समुद्र के पानी से लेकर नाभिकीय कचरे में उपस्थित यूरेनियम निष्कर्षण के तरीके बताये। डॉ. आपटे ने बताया कि परमाणु संयंत्रों में विद्युत उत्पादन के लिये यूरेनियम की आवश्यकता पड़ती है। भारत में यूरेनियम के सीमित भंडारों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि समुद्र के पानी में पृथ्वी की कुल यूरेनियम की मात्रा का लगभग 60 प्रतिशत उपस्थित है। डॉ. आपटे ने कहा कि मानव शरीर के लिये यूरेनियम की ज्यादा मात्रा में उपस्थिति घातक है। उन्होंने कहा कि बार्क के वैज्ञानिकों ने यूरेनियम निष्कर्षण में सहायता करने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं की पहचान की है। डॉ. आपटे के व्याख्यान के पश्चात् विद्यार्थियों ने खनिजों की उत्पत्ति एवं रेडियोधर्मी पदार्थों की विशेषताओं से संबंधित अनेक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।
द्वितीय तकनीकी सत्र में अलीगढ़ मुस्लिम वि.वि. के प्रोफेसर अली मोहम्मद ने पर्यावरण तथा पर्यावरण प्रदूषण तथा प्रदूषण निवारण हेतु ग्रीन केमेस्ट्री के महत्व पर प्रकाश डाला। पर्यावरण प्रदूषण को विश्वव्यापी समस्या निरूपित करते हुए डॉ. अली मोहम्मद ने विद्यार्थियों से आवहान किया कि आप विश्व स्तर पर सोंचे तथा प्रयास स्वयं के स्थानीय स्तर से आरंभ करें। ग्रीन केमेस्ट्री को आज की प्रमुख आवश्यकता बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को इससे संबंधित सारगर्भित जानकारी दी। वायुमंडल में विद्यमान गैंसे उष्मा की मात्रा को नियंत्रित करती है। अम्लवर्षा, ग्लोबलवार्मिंग तथा खाद्यानों में हानि सभी पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम हैं। विद्यार्थियों ने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के उपायों तथा बैटरी चलित कारों से संबंधित प्रश्न पूछे। डॉ. अली मोहम्मद के व्याख्यान के दौरान महाविद्यालय के प्राध्यापक भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इंस्पायर प्रोग्राम के मुख्य समन्वयक प्राचार्य डॉ. एस.के. राजपूत ने बताया कि तृतीय सत्र में दोपहर को विद्यार्थियों की बौध्दिक क्षमता के आंकलन हेतु वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित टेस्ट परीक्षा आयोजित की गई। विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में उच्च अंक प्राप्त किये। प्रतिभागी विद्यार्थियों के लिए साइंस कालेज दुर्ग के विद्यार्थियों द्वारा शाम को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें सूरजपुर, कुम्हारी दुर्ग तथा डीएव्ही बिलासपुर की प्रतिभागी विद्यार्थियों ने भी एकलगान तथा एकल नृत्य प्रस्तुत किया। महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने पंथी नृत्य जब प्रस्तुत किया तो सारा हाल तालियों से गूंज उठा। छात्र-छात्राओं ने बस्तरिया नृत्य, छत्तीसगढ़ी नृत्य एवं राजस्थानी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत एकल एवं समूह गान भी आकर्षण का केन्द्र रहें। इससे पूर्व विद्यार्थियों को जैव विविधता संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से भिलाई स्थित मैत्री बाग का भ्रमण कराया गया। भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने मैत्री बाग में उपस्थित जानवरों एवं पौधों की विभिन्न प्रजातियों तथा भारत स्वच्छता अभियान की जानकारी प्राप्त करते हुए मैत्री बाग के अधिकारियों से अनेक प्रश्न पूछें।

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