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जो गुण भगवान में, वही हममे भी हैं : द्रौपदी मुर्मू

Dec 6, 2016

draupadi-murmuधन से हम मूर्ति खरीद सकते हैं पर श्रद्धा नहीं 
भिलाई। मैंने अभी तक बहुत सारी सभाओं को संबोधित किया है लेकिन यह भिलाई की सभा देवी-देवताओं की सभा है। दुनिया और प्रकृति परिवर्तनशील है। सृष्टि के नियमों को हम नहीं बदल सकते हंै। लेकिन अपने आप को स्थिर रख सकते हंै। उक्त उद्गार मुख्य अतिथि के रूप में झारखण्ड की राज्यपाल बहन द्रोपदी मुर्मु ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के पीस ऑडिटोरियम मेें आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा उत्कर्ष जीवन विषय पर कहीं। आपने कहा कि हम लोग दूसरों को देखते हैं। लेकिन हमारे अंदर गुण और शक्तियां छुपी हुई है। अंतर्मुखी बन कर इन्हें प्राप्त कर सकते है। उन्होंने कहा कि जीवन में ऐसे भी दौर आए जब जिंदगी को खत्म करने के संकल्प भी आते थे। लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा पता चला कि शरीर खत्म होता है आत्मा नहीं। जीवघात महापाप है। संघर्ष शब्द की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि संग प्लस हर्ष अर्थात् हर क्षण हर्ष ही हर्ष। जो कि आध्यात्मिकता द्वारा संभव है। जिंदगी जीने के लिए हमें सही दिशा में जाना है। लेकिन हम गलत रास्ता चुन लेते हंै।
उन्होंने कहा कि भगवान के पास जो क्वालिटी है, वही हममें भी है। मेडिटेशन में कुछ छोडऩा नहीं है। मेडिटेशन के लिए कहा जाता है ये तो बुढ़ों के लिए है। लेकिन हर कार्य करते हुए इसे सभी उम्र के लोग कर सकते हंै। भगवान ने हमें सिर्फ ख्याति और धन कमाने के लिए नहीं भेजा है। हमकों भगवान से दया की भीख नहीं मांगनी है। हम उनके वारिस बगो हैं। भगवान को हमारी दिल पसंद है। लेकिन हम दिल में दूसरों की बातें और कचरा रखी है। पहले दिल की सफाई जरूरी है। हम स’चाई के मार्ग पर चलते हंै। तो धन आपेही पीछे आयेगा। धन से हम मूर्ति खरीद सकते हंै पर श्रद्धा नहीं। इसके लिए आंतरिक प्यार चाहिये। विश्व में शान्ति हो। यदि अशान्ति हमारे अंदर है तो उसका निवारण भी हमारे अंदर है । विश्व में शान्ति गवर्नमेंट नहीं कर पायेगी। हर एक को प्रयास करना है। तब स्वत: ही स्मार्ट इंडिया, स्मार्ट विलेज का सपना साकार हो जायेगा। मानव डिवाइस के अंदर आत्मा सा्ॅफ्टवेयर है। कर्म के हिसाब से शरीर मिलता है। हर कर्म का हिसाब डिपॉजिट हो रहा है। जो अगले जन्म में कैरी फॉरवर्ड होगा। मन, वचन, कर्म को ठीक करना होगा। अंदर कुछ बाहर कुछ नहीं चलेगा। बीती को बिन्दी लगाओ। आप और हम नहीं जानते कि हमारे कितनी सांसें शेष है। इसलिए हर सेकण्ड और कर्म श्रेष्ठ हो। मेरी जीवन कैसा हो यह मैं डीसाइड करूं । बुरे कर्म का प्रभाव परमात्मा कम करते है लेकिन आपको श्रेष्ठ कर्म की मेहनत से इसे पूरा खत्म करना पडेंगा। माननीय प्रेम प्रकाश पाण्डे, केबिनेट मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन ने अपने उद्बोधन में कहा भारत में ही आत्मा के अस्तित्व को माना गया है इसलिए परमात्मा से मिलन की आश रखते हैं। भिलाई एक लघु भारत के रूप में धार्मिक, राजनैतिक तथा आध्यात्मिकता की पृष्ठ भूमि है। भिलाई इस्पात संयंत्र देश को आर्थिक मजबूती प्रदान करता है। आज भिलाई की तीसरी पीढ़ी पूरे विश्व में कहती है कि हम भिलाई से आये है। भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर से माननीय भ्राता एम ़ रवि , सीईओ, द्वारा महामहिम द्रोपदी मुर्मु जी का शॉल और श्रीफल देकर सम्मान किया गया। भिलाई सेवा केन्द्रों की संचालिका ब्रह्माकुमारी आशा ने अपने आशीर्वचन मे कहा कि हमारे एक छोटे निमंत्रण पर आप भिलाई आये यह आपकी निर अंहकारिता है। कटक से पधारे नत्थमल अग्रवाल जी ने कहा सीखने की प्रक्रिया बचपन से अंत तक चलती है। हमें आंतरिक शक्तियों द्वारा परिवर्तन करना है।
मंच संचालन ब्रह्माकुमारी तारिका ने किया। दिव्या बहन और पोषण भाई ने उठो जगत के वास्ते गीत प्रस्तुत किया। ब्रह्माकुमारी प्राची ने विपरीत परिस्थितियों के लिए राजयोग का अभ्यास कराया। स्वागत नृत्य अन्वेषा ने प्रस्तुत किया। दिनांक 06 दिसम्बर, मंगलवार से सुबह तथा शाम को राजयोग का नि:शुल्क कोर्स सर्व के लिये रहेगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या मे इस्पात नगरी के गणमान्य नागरिक, छात्र, शिक्षाविद्, प्रबंधन एवं राजनैतिक क्षेत्र के लोग उपस्थित थे।

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