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पायल शर्मा के इस जज्बे को सलाम

Feb 21, 2017

शादी कर लौटी बच्चों को पढ़ाने, परीक्षा के बाद लौटेंगी
teachingदुर्ग। बेटियों को शिक्षित करने की बातें बहुत होती हैं पर बेटियों के लिए अपने सुख को तिलांजलि देने का जो जज्बा पायल शर्मा ने दिखाया है वह बेमिसाल है। किसी भी लड़की के लिए विवाह सबसे बड़ी खुशी होती है पर पायल जिन बच्चियों को मुफ्त में पढ़ाती है, उस जिम्मेदारी को वे अपने सुख से ऊपर रखती हैं। 25 वर्षीय पायल शर्मा की 5 फरवरी को शादी हुई है। इधर स्कूलों में परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। लिहाजा पायल शादी के तुरंत बाद अपने घर लौट आई है ताकि आसपास के गांव के बच्चों को परीक्षा की तैयारी ठीक से करवा सके। वो कहती हैं कि पति और ससुराल कहीं भागे नहीं जा रहे। महीने भर की बात है। बच्चों की पढ़ाई ठीक से हो जाएगी तो साल भर की मेहनत बेकार नहीं जाएगी। पढ़ाने का यह जज्बा काफी पुराना है। पायल को जब पता चला कि पास के सरकारी स्कूल में विषय के अध्यापक नहीं हैं तो उसने तत्कालीन प्राचार्य ज्योत्सना चंद्रवंशी से मुलाकात कर मुफ्त में पढ़ाने का प्रस्ताव दिया। पायल ने पहले 9वीं और 10वीं के बच्चों को गणित पढ़ाया और फिर 11वीं और 12वीं के बच्चों को कॉमर्स पढ़ाने लगीं। कालांतर में प्राचार्य बदले, उन्हें स्कूल में आने से मना कर दिया गया। पर बच्चों ने जिद करके शाला प्रबंधन को मना लिया। विवाह की कुछ रस्में ऐसी होती हैं जो लड़की को दहलीज लांघने से रोकती हैं। ऐसे समय में पायल ने बच्चों को अपने घर पर ही बुलाना शुरू कर दिया।
ससुर ने की प्रशंसा : पायल के श्वसुर हरीशचंद्र का कहना है कि आज के समय में ऐसी सोच रखना बड़ी बात है। मेरी बहू अच्छा काम कर रही है। हम परीक्षा के बाद बची रस्मों को पूरा कर लेंगे। पायल जब 12वीं में थीं, तभी से गांव के बच्चों व महिलाओं को घर पर पढ़ाने लगी थीं।
पायल के पिता विनोद बताते हैं कि जब परिवार के सदस्य शादी की तैयारियों में लगे हुए थे, ये बच्चों की तैयारी कराने के लिए परेशान रहती थी। रस्में पूरी होते ही पढ़ाने चली जाती।

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