भिलाई। देश में 40 हजार कालेज हैं फिर भी उच्च शिक्षित लोगों की उपलब्धता हर जगह नहीं है। जहां है वहां लोग अपनी योग्यता से कम के पदों पर आवेदन कर रहे हैं। उक्त उद्गार सीजी नैक कोआर्डिनेटर एवं विषय विशेषज्ञ गीता तिवारी ने व्यक्त किए। वे शासकीय नवीन महा विद्यालय खुर्सीपार में आयोजित रूसा वर्कशाप को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, उच्च शिक्षा प्राप्त की उपलब्धता हर जगह नहीं है। इसी लिए कम्युनिटी कॉलेजों का महत्व बढ़ता जा रहा है। कॉलेज के प्रोफेसरों में भी जज्बा होना जरूरी है। जिससे सीमित संसाधनों में भी बेहतर शिक्षा दी जा सके। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान शिक्षा अभियान के तहत एक दिवसीय वर्कशाप में मुख्य अतिथि डीएन वर्मा ने कहा कि कॉलेजों में नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रणाली की जरूरत है। जिसे स्टूडेंट्स, टीचर, पालकों व जनभागीदारी समिति को भी समझना आवश्यक है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत कामर्स, आर्ट के छात्रों को भी प्रेक्टिकल करवाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी पर सुब्रह्मण्यम कमेटी ने 105 सुझाव दिए है। जिसमें से 90 सुझावों को विभाग के पास जमा किया गया है। इसमें मुख्य सुझाव नैतिक शिक्षा व पास फेल की नीति समाप्त करने का दिया गया है।
वर्कशॉप को विषय विशेषज्ञ सीजी नेक कार्डिनेटर गीता तिवारी, रविशंकर विश्वविद्यालय विधि विभाग प्रोफेसर वेणुधर रौतिया, सीजी महाविद्यालय के तपेश गुप्ता व दिग्विजय कॉलेज राजनांदगांव के प्राचार्य आरएन सिंग ने भी संबोधित किया। मुख्य अतिथि ने बताया 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत प्रदेश के 27 कॉलेजों को 25-25 लाख रुपए की राशि दी गई है।
छत्तीसगढ़ कॉलेज से डॉ. तपेश गुप्ता ने बताया कि उपलब्ध संसाधनों का किस प्रकार से उपयोग कर स्टूडेंट्स को आगे बढ़ाया जाए यह रूसा का मुख्य उद्देश्य है। आज के समय छात्र भी शॉर्टकट से सिर्फ परीक्षा के समय पढ़ाई करने पर ध्यान दे रहे है। बीई व पीएचडी होने के बाद भी योग्यता से छोटे पदों के लिए आवेदन भरें जा रहे है। जाति, लिंग, अमीरी गरीबी, ग्रामीण शहरी का भेदभाव मिटाना जरूरी है।
रविशंकर विश्वविद्यालय विधि विभाग प्रोफेसर वेणुधर रौतिया ने शिक्षा के साथ ही छात्रों को उचित मार्गदर्शन व आत्मविश्वास जगाने को महत्वपूर्ण बताया। हमारे यहां बीए का स्टूडेंट एडमिशन के बाद सोचता है।