भिलाई। करियर गढ़ते गढ़ते कहीं ऐसा न हो कि जीवन और विवाह का उद्देश्य ही खत्म हो जाए। सही उम्र में विवाह करें, संतान पैदा करें। करियर इसके बाद भी आगे बढ़ सकता है। उक्त बातें प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. रेखा रत्नानी ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि आज करियर गढऩे के जोश में हम होश गंवा बैठे हैं और बढ़ी हुई उम्र में विवाह कर रहे हैं। 30 से अधिक उम्र में विवाह करने वाले कपल्स में से लगभग 40 फीसदी को गभर्धारण करने में दिक्कत होती है। इसके बाद भी वे गंडा, ताबीज, बाबाओं और नीम हकीमों के चक्कर में पड़कर अपना कीमती वक्त जाया करते हैं। जब वे किसी फर्टिलिटी विशेषज्ञ के पास पहुंचते हैं काफी देर हो चुकी होती है।23 से 25 है सही उम्र
डॉ रेखा रत्नानी ने बताया कि युवतियों के लिए विवाह की सही उम्र 23 से 25 तक है। स्त्री एक निश्चित संख्या में अंडाणु लेकर जन्म लेती हैं। मासिक स्राव के साथ ही ये परिपक्व हो जाते हैं। प्रत्येक महीने माहवारी के साथ एक अंडा बह जाता है और स्टॉक कम होता जाता है। 23 की उम्र तक उच्च शिक्षा का एक स्तर पूरा हो जाता है। इसके बाद विवाह कर संतानोत्पत्ति कर लेनी चाहिए। 30 के बाद न केवल सीमित संख्या में अंडाणु रह जाते हैं बल्कि वे कमजोर भी हो जाते हैं। 40 पार की महिलाओं के गभर्धारण करने पर बच्चे विकार लेकर पैदा होते हैं।
समस्या दोनों में होती है
डॉ रेखा रत्नानी बताती हैं कि आम तौर पर नि:संतानता के लिए महिला को दोषी ठहराया जाता है जबकि गभर्धारण के लिए और स्वस्थ शिशु के लिए दोनों बराबर के जिम्मेदार होते हैं। महिलाओं में जहां गर्भाशय का न होना, आड़ा होना, दो मुंहा होना, डिंबवाहिनियों का बंद होना आदि समस्याएं आती हैं वहीं पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं का बिल्कुल न होना, निष्क्रिय होना या संक्रमित होना आम बात है। उक्त समस्या होने पर गभर्धारण मुश्किल होता है। पर इलाज से इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
डॉ रत्नानी ने बताया कि आईवीएफ से लेकर सरोगेसी तक विज्ञान काफी आगे बढ़ चुका है। केवल 10-15 फीसदी लोग ही ऐसे होंगे जिनके लिए स्वयं का शिशु उत्पन्न करना संभव न हो।