भिलाई। संतोष रूंगटा कैंपस में शास्त्रार्थ को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई), नई दिल्ली के मेंबर सेक्रेटरी प्रो. आलोक प्रकाश मित्तल ने कहा कि आज डेवलपमेंट की कीमत हम सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही तरीकों से चुका रहे हैं। आवश्यकता विकसित तकनीक के बहुत ही सावधानीपूर्वक एप्लीकेशन से है। उन्होंने रिसर्चर्स को अपनी रिसर्च की दिशा में ऐसे फुटप्रिंट्स छोडऩे को कहा जिसपर आने वाली पीढ़ी आगे काम कर सके। उन्होंने कहा, यदि हम रिसर्च की फील्ड में अपना कॉन्ट्रीब्यूशन दे रहे हैं तो इस बात का पूरा ध्यान रखें कि इस रिसर्च का इम्पैक्ट सभी पर पॉजीटीव हो। आज विकास के साथ-साथ नई चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। रिसर्च करना हमें यह सिखाता है कि हम सोसायटी के लिये एक उदाहरण बनें ताकि हमें फॉलो करते हुए युवा आगे बढ़ सकें। यही डेवलपमेंट वर्क कहलाता है। इनोवेशन से तात्पर्य बेसिकली हम जहाँ हैं वहाँ से आगे कैसे बढ़ें अर्थात क्या ऐसा कदम उठाया जाये जिससे और अधिक आऊटपुट प्राप्त हो।
प्रो. मित्तल के अनुसार यदि हम अपने मुकाम को हासिल न कर पायें तब भी उस मुकाम को हासिल करने हेतु दूसरे का मार्गदर्शन करना भी एक इनोवेशन कहलायेगा। इस बात का खासा ध्यान रखा जाये कि रिसर्च का उपयोग रचनात्मक कार्यों में हो न कि विघ्वंसक कार्यों में। टेक्नालॉजी डेवलपमेंट सभी के लिये बहुत अच्छा होता है लेकिन निगेटीव डायरेक्शन में इसे इस्तेमाल करने वाले भी कम नहीं है, इसलिये यह अहम बात है कि आपकी रिसर्च सुरक्षित हाथों में हो। प्रो. मित्तल ने एआईसीटीई की विभिन्न योजनाओं, स्कीमों तथा उसमें मिलने वाले अनुदानों का जिक्र करते हुए कहा कि इच्छुक संस्थान या व्यक्ति को महीने में एक बार कम से कम एआईसीटीई की वेबसाइट पर विजिट कर इसकी जानकारी प्राप्त करना चाहिये।