दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं। उनमें एक प्रजाति ऐसी होती है जिसे दूसरे का काम खराब और अपना वही काम अच्छा लगता है। हम सभी में इस प्रजाति का थोड़ा-बहुत अंश होता ही है। किसी-किसी में अनुपात बिगड़ जाने से ज्यादा होता है। हमारे अतुल्य भारत में जहां परिधान और वेशभूषा आपका स्टेटस सिंबल बनते हैं, उपभोक्तावाद की संस्कृति ही लाखों लोगों का पेट पाल रही है, वहां कपड़े का साइज़ ही नहीं वरन कपड़े की प्रजाति भी आपका चारित्रिक विश्लेषण करते हैं। स्वदेशी सामग्री की सूची में एक और नाम जुड़ गया है। शुद्ध आटा, नमक, हल्दी, बेसन, साबुन, एलोवेरा जेल, तेल और शैम्पू के बाद योग गुरू बाबा रामदेव आपके लिए ला रहे हैं भारतीय संस्करण की स्वदेशी जींस। बाबा रामदेव अपने व्यापार को कपड़ों की दुनिया में भी ले जा रहे हैं। उनके कारखाने और गोदाम से होकर जो कपड़े निकलेंगे वो स्वदेशी ही होंगे। अभी बाबा को लग रहा है कि सलवार-सूट से अधिक जींस की मांग है तो जींस से शुरुआत करेंगे। ये सारे कपड़े स्वदेशी होंगे क्योंकि बाबा रामदेव कोई गारमेंट्स की दुकान नहीं चला रहे हैं, वो लोगों को उनके अनुरूप वस्त्र दे रहे हैं जो ‘परिधान’ के नाम से जाने जाएंगे। ये वेस्टर्न कपड़ों का ‘Indianised’ (भारतीय) संस्करण होगा। नागपुर में एक और बड़ा कारखाना प्लांट किया जा रहा है। आपको पता होगा कि सन् 2011-12 से अब तक इस कंपनी को 10 गुना से अधिक मुनाफ़ा हुआ है जो इमामी और डाबर सरीखे किसी भी भारतीय कंपनी से अधिक है।