भिलाई। भीड़ भरी बस में किसी युवक से किसी युवती को धक्का लग जाए तो वह तत्काल उसे मां बहन की याद दिलाकर कोसना शुरू कर देती है। पर जब यही धक्का उससे किसी युवक को लग जाता है तो वह केवल सॉरी बोलकर रह जाती है। इन्हीं विसंगतियों के साथ महिला जागरूकता के विभिन्न चरणों को श्रीशंकराचार्य महाविद्यालय के एनसीसी कैडेट्स ने खूबसूरती से प्रस्तुत किया। एनसीसी कैडेट्स ने यह प्रस्तुति गुरूपूर्णिमा के अवसर पर विविधा द्वारा आयोजित संवाद, सम्मान एवं पत्रिकाओं के विमोचन समारोह के आरंभ में दी। विद्यार्थियों ने छोटे-छोटे दृश्यों के संयोजन से बताया कि किस प्रकार पहले नारी पुरुषों का अत्याचार चुपचाप सहती रही है। थोड़ा जागरूक होने पर वह प्रतिवाद करना शुरू कर देती है। अधिकार मिलने के बाद वह अकसर उसका दुरुपयोग भी करने लगती है। नाटक के विभिन्न दृश्यों में यह बताया गया कि मीडिया टीआरपी बटोरने के चक्कर में किस तरह युवतियां झूठा आरोप लगाकर युवकों का सबकुछ उजाड़ देती हैं। किस तरह निकम्मी बहुएं अपने सास-ससुर को प्रताड़ित करती हैं और पति द्वारा समझाने की कोशिश करने पर दहेज प्रताड़ना के तहत मामला करने की धमकी देती हैं।
नाटक से यह संदेश देने की कोशिश भी की गई कि अधिकारों का सदुपयोग कर जहां वे समाज में अपनी स्थिति बेहतर बन सकती हैं वहीं इनका दुरुपयोग लंबे समय में स्वयं उनके लिए ही घातक सिद्ध हो सकता है।