भिलाई। एमजे कालेज की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर का मानना है कि इंसान बनने के लिए विद्वान बनने से भी कहीं ज्यादा जरूरी है बुद्धिमान बनना ताकि उचित अनुचित का फैसला किया जा सके। सामूहिक नरसंहार के हथियारों के पीछे भी विज्ञान है और जीवन की रक्षा करने में भी विज्ञान ही काम आता है। मानवता की रक्षा के लिए ज्ञान और विज्ञान को सही दिशा दिये जाने की जरूरत है। जल संरक्षण पर टीम एमजे को संबोधित करते हुए श्रीलेखा ने कहा कि वैज्ञानिक प्रगति ने जहां जीवन को आसान बनाने के लिए कई उपकरण दिए वहीं सामूहिक नरसंहार के हथियार भी दिए। श्रीलेखा ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हमने इसका सबसे वीभत्स रूप देखा। जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी को जहां आणविक बमों से तहस नहस करने के किस्से रोंगटे खड़े कर देते हैं। यहां योग्य इंजीनियरों ने मनुष्यों की हत्या के लिए गैस चैम्बर बनाए, बच्चों को चिकित्सकों की टीम ने बच्चों को जहरीले इंजेक्शन लगाकर मार डाला, नर्सों ने शिशुओं की हत्या की, महाविद्यालयीन डिग्री प्राप्त युवाओं ने महिलाओं का संहार किया। आतंकवादी विनाशकारी आयुधों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो एके 47 जैसे खतरनाक हथियारों का उपयोग अतिवादी संगठन स्वयं अपने देश की सेना और पुलिस के खिलाफ कर रहे हैं।
श्रीलेखा ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में केवल अधिक से अधिक अंक हासिल करने की तालीम दी जा रही है। प्रकृति, जीव जंतु और मनुष्यों से प्रेम करने की शिक्षा नहीं दी जा रही। मशीन का निर्माण करने वाला व्यक्ति स्वयं मशीन में तब्दील हो रहा है। क्रिकेट में रन मशीन, स्कूल कालेज में स्कोर मशीन और जीवनकाल में मनी मशीन का किरदार निभा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रकृति की सुरक्षा, जल संरक्षण, मानव विकास तथा पारिवारिक संबंधों को सुरक्षित रखने के लिए चरित्र निर्माण एवं मनुष्यत्व जगाने की चेष्टा करनी होगी। वरना यह पूरा विकास निरर्थक साबित होगा और मनुष्य का जीवन ही व्यर्थ हो जाएगा।