भिलाई। एक विपन्न परिवार में जन्म लेकर मध्यभारत के कॉमर्स गुरू बनने तक का सफर तय करने वाले डॉ संतोष राय ने दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने श्री नरेन्द्र मोदी की जीवनगाथा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की अपील शासन से की है। डॉ संतोष राय ने इससे पहले 2014 में भी इस भाव को प्रकट किया था। उन्होंने कहा कि बालक मोदी का एक करिश्माई प्रधानमंत्री बनकर उभरना न केवल एक असामान्य घटना है बल्कि यह उन करोड़ों देशवासियों के लिए प्रेरणादायक भी है जो साधन विहीन हैं। कॉमर्स गुरू डॉ संतोष राय ने 27 मई 2014 को एक आलेख प्रकाशित किया था जिसका विषय था – ‘क्या एैसे व्यक्तित्व को पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए’। उन्होंने लिखा था कि नरेन्द्र मोदी पर रिसर्च होना चाहिए और उन्हें प्रबंध की पुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए। एक ऐसा बालक जो साधारण परिवार में जन्म लेकर, साधारण तरीके से जीवन यापन करते हुए लोकतंत्र के सबसे बड़े पद पर रहते हुए निरंतर सेवक के रूप में कार्य करने की जिज्ञासा-इच्छा व्यक्त कर उस कहावत को सत्य सिद्ध करता है जिसमें कहा जाता हैं कि ‘सफलता किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं और न ही अमीरों के हाथ की कठपुतली है’। नरेन्द्र मोदी इस सत्य के ज्वलंत प्रमाण हैं कि यदि आपमें नेतृत्व क्षमता हो, एक खूबसूरत भाव हो, कुछ करने की चाहत हो, एक अच्छी सोच हो, जरूरतमंदों के चेहरों पर मुस्कुराहट लाने पर खुशी मिलती हो तो आपके हर काम मे भगवान भी साथ देने लगता हैं।
डॉ राय ने कहा कि ‘नेतृत्व करता नरेन्द्र मोदी’, ‘ऊर्जा की प्रवाह करने वाला व्यक्ति नरेन्द्र मोदी’, ‘दमदार आवाज का धनी नरेन्द्र मोदी’, ‘निर्णय क्षमता से ओतप्रोत नरेन्द्र मोदी’, ‘अपनी बातों को निर्भिक होकर व्यक्त करता नरेन्द्र मोदी’, ‘विरोधियों से सुनकर नहीं उन्हें सुनाकर आने में सक्षम नरेन्द्र मोदी’, ‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम स्थापित करने मे सक्षम नरेन्द्र मोदी’ शोध का विषय हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए कहा जा सकता है कि ‘नरेन्द्र मोदी भगवान तो नहीं लेकिन भारत के लिए भगवान से कम भी नहीं’। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की है कि वे युवा-वर्ग के रोजगार, शिक्षा-चिकित्सा के स्तर पर जरूर कुछ ऐसा करें जो ऐतिहासिक हो क्योंकि युवा-वर्ग उनकी तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहा हैं।