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प्रदेश के महाविद्यालयों में सुधरेगा शिक्षण का स्तर, यह कर रही सरकार : शिक्षा मंत्री

Sep 17, 2019

अनुदानित महाविद्यालयों की मांगों को सामान्य प्रशासन एवं वित्त मंत्रालय को सौंपेंगे

 भिलाई। भूपेश बघेल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शासन एक मॉडल पर कार्य कर रहा है। महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। शासन की कोशिश है कि भिलाई, रायपुर एवं बिलासपुर के उच्च शिक्षा संस्थानों के प्राध्यापकों के लेक्चर का लाभ प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में स्थित महाविद्यालयों के छात्र भी उठा सकें। उक्त उद्गार प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने आज यहां कल्याण महाविद्यालय में व्यक्त किए।भिलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शासन एक मॉडल पर कार्य कर रहा है। महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। शासन की कोशिश है कि भिलाई, रायपुर एवं बिलासपुर के उच्च शिक्षा संस्थानों के प्राध्यापकों के लेक्चर का लाभ प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में स्थित महाविद्यालयों के छात्र भी उठा सकें। उक्त उद्गार प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने आज यहां कल्याण महाविद्यालय में व्यक्त किए।

 भिलाई। भूपेश बघेल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शासन एक मॉडल पर कार्य कर रहा है। महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। शासन की कोशिश है कि भिलाई, रायपुर एवं बिलासपुर के उच्च शिक्षा संस्थानों के प्राध्यापकों के लेक्चर का लाभ प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में स्थित महाविद्यालयों के छात्र भी उठा सकें। उक्त उद्गार प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने आज यहां कल्याण महाविद्यालय में व्यक्त किए।श्री पटेल छत्तीसगढ़ अनुदानित अशासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक एवं सेवानिवृत्त प्राध्यापक संघ के वार्षिक अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाविद्यलयीन प्राध्यापकों के उन्नयन के लिए आईआईटी, आईआईएम तथा जेएनयू जैसे ख्याति प्राप्त संस्थानों के व्याख्यानों से उन्हें जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही चुनिन्दा महाविद्यालयों को सेन्टर्स आॅफ एक्सेलेन्स के रूप में विकसित किया जाएगा। ऐसे उच्च प्रशिक्षित एवं दक्ष प्राध्यापकों के व्याख्यानों को राज्य के दूरस्थ महाविद्यालयों के विद्यार्थियों तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी ताकि वे भी लाभांवित हो सकें। प्रदेश के प्रत्येक छात्र की पहुंच अच्छी शिक्षण सामग्री तक हो इसके लिए ई लाइब्रेरी खोले जा रहे हैं, डिस्टेंस कोर्सेस को भी आगे बढ़ाएंगे।
श्री पटेल ने स्वीकार किया कि राज्य के महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की कमी है। उन्होंने बताया कि शासन ने पीएससी के माध्यम से 1300 सहा. प्राध्यापक, ग्रंथपाल एवं क्रीड़ा अधिकारियों की भर्ती करने जा रही है। छात्र संख्या को देखते हुए इस वर्ष महाविद्यालयों में एक हजार सीटों की वृद्धि की गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य की शिक्षा नीति पर भी काम हो रहा है। हमें पांच से पंद्रह साल आगे की सोच को लेकर काम करना होगा और नीति बनानी होगी। उच्च शिक्षा का श्रेष्ठ मॉडल चुनने के लिए भी हम राज्य के शिक्षण संस्थानों को ही आधार बनाएंगे। प्रदेश के जिस शिक्षा संस्थान का एडमिशन प्रोसेस, एडमिशन फीस और रिजल्ट सबसे अच्छा होगा उसी को पूरे प्रदेश के लिए अपनाया जाएगा। इसके लिए तकनीकी कमेटी बना दी गई है।
शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक एक ऐसा पारस है जो पारस बनाता है। वह पढ़ता भी है और पढ़ाता भी है।
लाइलिहुड कालेज के बारे में उन्होंने बताया कि 15 साल से कागजों पर चला। इनमें सुधार किया जाएगा। जिस जिले में जिन कोर्सेस के लिए रोजगार के अवसर हों, उन जिलों में उन्हीं कोर्सेस को चलाया जाएगा।
अनुदानित महाविद्यालयों के कार्यरत एवं सेवानिवृत्त प्राध्यापकों की मांग पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रेच्यूटी और पेंशन के बारे में सामान्य प्रशासन एवं वित्त मंत्रालय से चर्चा की जाएगी। कार्यरत एवं सेवानिवृत्त प्राध्यापकों की मांग है कि पेंशन एवं ग्रेच्युटी की राशि सेवानिवृत्ति के दौरान आहरित किए जाने वाले वेतन के आधार पर दिया जाए।
मंच पर महापौर एवं विधायक देवेन्द्र यादव, लक्ष्मीपति राजू, डॉ एचएन दुबे, अजय शर्मा, डॉ आरपी अग्रवाल, सुभद्रा सिंह एवं बीपी शर्मा भी मौजूद थे।

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