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बच्चों को अपने किए की जिम्मेदारी लेना सिखाएं तो होगी अच्छी परवरिश : बिजू बेबी

Sep 15, 2019

छत्तीसगढ़ तक आ पहुंचा ओकरिज इंटरनेशनल स्कूल का ‘वे टू एम्बुलेंस अभियान’

भिलाई। वक्त के साथ हर चीज बदलती है। यह परिवर्तन प्रत्येक क्षेत्र में आता है इसलिए शिक्षा और परवरिश इससे अछूती नहीं रह सकती। नए दौर में भी यदि हम बच्चों की परवरिश गुजरे जमाने के हिसाब से करते रहे तो सफलता उससे कोसों दूर चली जाएगी। यह कहना है ओकब्रिज इंटरनेशनल स्कूल विशाखापत्तनम के प्राचार्य बीजू बेबी का। उन्होंने पेरेन्ट्स को बच्चों की बेहतर परवरिश के टिप्स भी दिए।भिलाई। वक्त के साथ हर चीज बदलती है। यह परिवर्तन प्रत्येक क्षेत्र में आता है इसलिए शिक्षा और परवरिश इससे अछूती नहीं रह सकती। नए दौर में भी यदि हम बच्चों की परवरिश गुजरे जमाने के हिसाब से करते रहे तो सफलता उससे कोसों दूर चली जाएगी। यह कहना है ओकरिज इंटरनेशनल स्कूल विशाखापत्तनम के प्राचार्य बीजू बेबी का। उन्होंने पेरेन्ट्स को बच्चों की बेहतर परवरिश के टिप्स भी दिए।भिलाई। वक्त के साथ हर चीज बदलती है। यह परिवर्तन प्रत्येक क्षेत्र में आता है इसलिए शिक्षा और परवरिश इससे अछूती नहीं रह सकती। नए दौर में भी यदि हम बच्चों की परवरिश गुजरे जमाने के हिसाब से करते रहे तो सफलता उससे कोसों दूर चली जाएगी। यह कहना है ओकब्रिज इंटरनेशनल स्कूल विशाखापत्तनम के प्राचार्य बीजू बेबी का। उन्होंने पेरेन्ट्स को बच्चों की बेहतर परवरिश के टिप्स भी दिए।भिलाई से अपनी शिक्षा पूरी करने वाले बीजू ने काफी वक्त विदेशों में बिताया है। उन्होेंने कहा कि आज यदि अर्थव्यवस्था ग्लोब है तो एजुकेशन को भी ग्लोबल होना ही होगा। बच्चे की सोच ग्लोबल होगी तभी वह किसी भी देश में जाकर सहजता के साथ उसे अपना बना पाएगा। इसके लिए विषय ज्ञान के साथ-साथ विश्व की विभिन्न संस्कृतियों की समझ भी आवश्यक है।
यहां होटल सेन्ट्रल पार्क में टीचर्स, पैरेन्ट्स और मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को जड़ों से जोड़े रखें पर उसे पंख भी दें पर उसे हक न दें। उसे इस बात का अहसास होना चाहिए कि कुछ पाने के लिए कुछ करना भी होता है। जैसा कर्म होगा वैसा ही फल मिलेगा। फल को सजा के तौर पर न देखें। जब बच्चे के कर्म का फल मिल रहा हो तो उसमें हस्तक्षेप भी न करें। यह कठिन हो सकता है पर बच्चे के भविष्य के लिए यही श्रेष्ठ है। हमेशा अपने बच्चे के प्रयासों की तारीफ करें, उसकी काबीलियत की चर्चा न ही करें तो बेहतर। यदि नम्बर कम आए तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसमे क्षमता नहीं है। उसने प्रयास कम किये हैं। यदि वह मेहनत करेगा तो अच्छे नम्बर आएंगे। यह विश्वास उसमें होना चाहिए।
ओकरिज इंटरनेशनल स्कूल के विषय में उन्होंने बताया कि नॉर्ड एंग्लिया इंटरनेशनल स्कूल ने फरवरी में भारत के पांच स्कूलों का एक साथ अधिग्रहण किया। नॉर्ड एंग्लिया की 29 देशों में 66 स्कूल हैं। यहां बच्चों को ग्लोबल सिटिजन बनने के लिए तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि यहां प्राथमिक शिक्षा कैम्ब्रिज पाठ्यक्रम से और 6वीं से 12वीं तक की शिक्षा सीबीएसई की संबद्धता से दी जाती है। यह एक आईबी स्कूल है। आईबी डिप्लोमा वाले बच्चों को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सहज प्रवेश मिल जाता है।
इस अवसर पर रीजनल सेल्स हेड सतीश बीवी एवं रविशंकर भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि ओकरिज स्कूल के बच्चों ने हाल ही में एक प्रोजेक्ट शुरू किया है जिसका नाम ‘एम्बुलेंस को रास्ता देना’ है। इस कार्यक्रम का प्रचार प्रसार बच्चों के द्वारा ही किया जा रहा है। अब तक 11 हजार लोगों को इस अभियान से जोड़ा जा चुका है। हाल ही में स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और राज्यपाल से भेंट कर उन्हें अपने कार्यक्रम की जानकारी दी। इस कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को इस बात की शपथ दिलाई जाती है कि वे मरीज को लेकर जा रहे एम्बुलेंस को हमेशा पहले जाने देंगे। इस कार्यक्रम को व्यापक समर्थन मिल रहा है।

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