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सेप्सिस का इलाज महंगा और मुश्किल, बचाव ही तरीका : डॉ श्रीनाथ

Sep 12, 2019

वर्ल्ड सेप्सिस डे की पूर्व संध्या पर स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल का जागरूकता अभियान

 भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के चीफ इंटेसिविस्ट डॉ एस श्रीनाथ ने आज कहा कि सेप्सिस का इलाज महंगा और मुश्किल होता है। इसलिए सेप्सिस से बचने के सभी उपाय किया जाना ही श्रेष्ठ होता है। वे 13 सितम्बर को मनाये जाने वाले ‘वर्ल्ड सेप्सिस डे’ की पूर्व संध्या पर एक पत्रवार्ता को संबोधित कर रहे थे। डॉ श्रीनाथ ने बताया कि सेप्सिस एक संक्रमण है। कमजोर रोग प्रतिरोधक शक्ति वाले लोगों को यह जल्दी अपनी चपेट में लेता है। इनमें बच्चे, बूढ़े, किडनी की बीमारी, सर्जरी, कैंसर की दवाइयों या शरीर में प्रविष्ठ किए जाने विभिन्न उपकरणों के कारण सेप्सिस हो सकता है। अंग प्रत्यारोपण के बाद भी इसका खतरा रहता है।भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के चीफ इंटेसिविस्ट डॉ एस श्रीनाथ ने आज कहा कि सेप्सिस का इलाज महंगा और मुश्किल होता है। इसलिए सेप्सिस से बचने के सभी उपाय किया जाना ही श्रेष्ठ होता है। वे 13 सितम्बर को मनाये जाने वाले ‘वर्ल्ड सेप्सिस डे’ की पूर्व संध्या पर एक पत्रवार्ता को संबोधित कर रहे थे। डॉ श्रीनाथ ने बताया कि सेप्सिस एक संक्रमण है। कमजोर रोग प्रतिरोधक शक्ति वाले लोगों को यह जल्दी अपनी चपेट में लेता है। इनमें बच्चे, बूढ़े, किडनी की बीमारी, सर्जरी, कैंसर की दवाइयों या शरीर में प्रविष्ठ किए जाने विभिन्न उपकरणों के कारण सेप्सिस हो सकता है। अंग प्रत्यारोपण के बाद भी इसका खतरा रहता है। डॉ श्रीनाथ ने बताया कि आज अनेक बैक्टीरिया में ड्रग रजिस्टेंस उत्पन्न हो गया है और वे पहले से अधिक ताकतवर हो गए हैं। इनपर सामान्य एन्टीबायोटिक्स काम नहीं करते। ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया शरीर में एंटीबायोटिक को काम नहीं करने देते और निकाल बाहर करते हैं। ऐसे मरीजों को बेहद महंगी दवाइयां देनी पड़ती है जो जीवन रक्षा के लिए जरूरी होता है। उन्होंने चिंता जताई कि हास्पिटल में पाई जाने वाली कुछ बैक्टीरिया भी अब बाहर फैलने लगी है।
बचाव के तरीकों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दुकान से स्वयं एंटीबायोटिक लेकर खाना, डोज पूरी नहीं करना, अस्वच्छ अस्पतालों में इलाज इस खतरे को बढ़ा देते हैं। स्थिति बिगड़ने पर ऐसे मरीजों को बड़े अस्पतालों में तब भेजा जाता है जब उसका जीवन बचाना वाकई बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है। अस्पतालों को संक्रमण रहित बनाने की दिशा में भारत सरकार के साथ ही चिकित्सक बिरादरी मिलकर काम कर रही है पर इसमें जनता का भी सहयोग चाहिए।
पत्रवार्ता में उपस्थित अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एपी सावंत ने कहा कि किसी योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लेनी चाहिए और पूरी लेनी चाहिए। स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। सर्जरी किसी अच्छे अस्पताल में ही करना चाहिए।
अस्पताल के प्रबंध संचालक डॉ दीपक वर्मा ने कहा कि पेशेंट सेफ्टी के उच्चतम मानकों पर खरा उतरने के लिए स्पर्श की टीम पूरा प्रयास करती है। ऐसा करना काफी महंंगा हो सकता है पर मरीजों की सुरक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। सेप्सिस आज इलाज के दौरान मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है।
पत्रवार्ता में पीडियाट्रिक एंटेंसिविस्ट डॉ संदीप थुटे के अलावा न्यू प्रेस क्लब ऑफ़ भिलाई नगर की अध्यक्ष भावना पाण्डेय तथा महासचिव आनंद ओझा के अलावा पत्रकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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