भिलाई। उत्तर प्रदेश के गहमर में आयोजित गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में डॉ. हंसा शुक्ला को उनकी कविता ‘सपना’ के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त होने पर सम्मानित किया जायेगा। इस सम्मेलन में संपूर्ण भारत से साहित्यकार शामिल होते है। इसमें गद्य एवं पद्य के विभिन्न विधा के अलग-अलग सत्र होते है। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित आशीष चंद्र काव्य प्रतियोगिता के विजेताओं को इस सम्मेलन में पुरस्कृत किया जायेगा। कार्यक्रम संयोजक अखण्ड गहमर ने बताया कि आशीषचंद्र काव्य प्रतियोगिता की आयोजक श्रीमती कांति शुक्ला का उद्देश्य सभी वर्ग के लोगों की रचनात्मक क्षमता को मंच प्रदान करना है। डॉ. हंसा शुक्ला को राष्ट्रीय स्तर पर इस काव्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इस प्रतियोगिता में कविता हेतु अलग-अलग विषय दिये गये थे। डॉ. हंसा शुक्ला ने ‘सपना’ विषय पर कविता की थी। कविता इस प्रकार है
‘सपना’
जो बंद आंखों में अपना था,
वह खुली आंखों का सपना था।
कितना अच्छा वह, मंजर था
किसी के हाथों में न खंजर था।
सब चेहरे पर थी प्यारी मुस्कान
कोई आंख आंसु से नम न था।
खुली जब आंखें मेरी
तब हुआ यह अहसास।
अरे वह तो था एक सपना
सपना, सपना हॉं सिर्फ सपना।
मेरे सपनों की दुनिया,
दूसरों से थी बिल्कुल अलग।
भारत की इस पावन भूमि में चाण्क्य
फिर एक चंद्रगुप्त तलाश रहे थे।
भगत, आजाद, सुभाष और पटेल
युवाओं को नई दिशा दिखा रहे थे।
हर युवा बना था क्रांतिकारी
अखण्ड भारत की थी चिंगारी।
हर ललाट पसीना चमक रहा था
जैसे सोना आग में दमक रहा था।
हर घर में मान था माता-पिता का
सब करते थे सम्मान सुता का।
मेहनत करते थे, और पढ़ते थे
भविश्य अपना युवा खुद गढ़ते थे।
ना आरक्षण की बैषाखी थी
ना जाति-पाति की बेडियॉं थी।
सब मेहनत की रोटी खाते थे
और खुषी से जीवन बिताते थे।
यह देख रही थी कि भ्रम टूट गया
मेरे सुंदर सपने का दम घुट गया।
फिर मन मेरे एक स्वप्न पला
और-धीरे से मेरे कानो में कहा।
सपने को बदल तु हकीकत में
इस नई भारत की नींव तु रख।
सपने को भुल जा एक पल में
और हकीकत में ये तस्वीर तु गढ़।
डॉ. हंसा शुक्ला की इस उपलब्धि पर गंगालजी शिक्षण समिति के चेयरमेन आईपी मिश्रा, अध्यक्ष श्रीमती जया अभिषेक मिश्रा स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा नर्सिंग की सीओओ डॉ. मोनिषा शर्मा स्वरूपानंद महाविद्यालय के सभी स्टॉफ ने बधाई दी एवं उज्जवल भविष्य की कामना की।