भिलाई। मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में भिलाई महिला महाविद्यालय में पतंगोत्सव का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ संध्या मदन मोहन सहित सभी विभागों के व्याख्याताओं, सहा. प्राध्यापकों एवं प्राध्यापकों ने इसमें बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। रंग बिरंगे पतंगों को आसमान में उड़ता देखकर विद्यार्थी भी बेहद खुश हुए और इस विहंगम दृश्य को मोबाइल कैमरे में कैद करने की उनमें होड़ सी लग गई।प्राचार्य एवं न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ संध्या ने इस अवसर पर मकर संक्रांति के विज्ञान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस पर्व में दो विधियों का उपयोग किया जाता है। तिल-गुड़ खाने के साथ साथ खुली धूप में पतंग उड़ाया जाता है। हम सभी जानते हैं कि कैल्शियम का अवशोषण करने के लिए हमारा धूप में निकलना जरूरी है। पतंग उड़ाना इसी को सुनिश्चित करता है। वहीं तिल कैल्शियम का सबसे समृद्ध स्रोत है। यह पर्व हमारे मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को मजबूत बनाता है।
महाविद्यालय की उप प्राचार्य डॉ नरूला ने सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रत्येक भारतीय पर्व का वैज्ञानिक आधार है। पाश्चात्य जीवन शैली में हम इसे भुलाते चले जा रहे हैं। हमें अपने पर्वों का वैज्ञानिक आधार की चर्चा करनी चाहिए और उसे आम जनों तक पहुंचाने का प्रयत्न करना चाहिए। कार्यक्रम का आयोजन फिजिकल एजुकेशन विभाग के नेतृत्व में किया गया। इस अवसर पर भौतिकी की विभागाध्यक्ष पीसी क्लॉडियस ने पतंग उड़ाने के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा की। फिजिकल एसोसिएशन की नंदिता खानरा ने विद्यार्थियों को पतंगोत्सव की शुभकामनाएं दीं।