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शोध कार्य को प्रयोगशाला से बाहर लाकर समाज हित में करें उपयोग – डॉ. एके सिंह

Jan 26, 2020

साइंस कालेज दुर्ग में रसायन शास्त्र पर अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस

International Conference on research at science college durgदुर्ग। शोध कार्य को प्रयोगशाला से बाहर लाकर सामाजिक हित में उपयोग करना वतर्मान समय की आवष्यकता है। आजकल किसी भी पदार्थ का बिना लक्ष्य के उपयोग समाज एवं पर्यावरण हेतु हानिकारक सिध्द हो रहा है। 3 डी प्रिटिंग हेतु मटेरियल का प्रयोग हो रहा है। शोध में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह समाज एवं पर्यावरण के हित में हो। ये उद्गार डॉ. ए.के. सिंह, डायरेक्टर राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फटिर्लाइजर लिमिटेड, मुंबई ने शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में व्यक्त किये। International Research Conference at VYT Science Collegeडॉ. सिंह महाविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित मटेरियल्स फॉर इन्वायरमेंट विषय पर दो दिवसीय इन्टरनेशनल कान्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे। डॉ. सिंह ने बांग्लादेश, नेपाल, चीन, साउथ अफ्रीका तथा भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी में ऊर्जा, स्वास्थ्य, जल, पर्यावरण, वायु आदि को स्वच्छ रखना प्रमुख चुनौतियां है। इस प्रकार के आयोजनों से अनेक महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकलते है तथा विद्याथिर्यों का सोचने का नजरिया बदलता है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के पूर्व निदेशक तथा राजा रमन्ना फेलोशिप प्राप्त डॉ. बी.एस. तोमर ने कहा कि सोसायटी के हित में हमें किसी भी शोध कार्य के आरंभ से ही विचार करना चाहिए। हमें प्रयोगशाला से शोध कार्य को फील्ड में ले जाकर समाज के हित में इसका उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि बार्क का उद्देश्य सदैव समाज हित रहा है। डॉ. तोमर ने कहा कि साईंस कालेज के रसायन शास्त्र विभाग को शोध कार्य हेतु भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र ने शोध परियोजना आबंटित की है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने कहा कि खनिज संपदा से पूर्ण छत्तीसगढ़ में खनिजों के संधृत विकास की नितांत आवष्यकता है। इन्टरनेशनल काफ्रेंस का मुख्य विषय वर्तमान समय की मांग है। साइंस कालेज, दुर्ग द्वारा समाज के हित में निरन्तर आयोजित की जा रही रचनात्मक गतिविधियों एवं शोध कार्यों की सराहना करते हुए डॉ. पल्टा ने इसे छत्तीसगढ़ प्रदेश का उत्कृष्ट महाविद्यालय करार दिया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महाविद्यालय में इंटरनेषनल कान्फ्रेंस का आयोजन शोधार्थियों एवं महाविद्यालय के युवा प्राध्यापकों के लिए नई ऊर्जा का संचार करेगा। डॉ. सिंह ने कहा कि किसी भी पदार्थ के निर्माण में छोटा सा परिवर्तन पर्यावरण पर वृहद रूप से प्रभाव डालता है। कभी-कभी यह प्रभाव हमें तुरंत दिखाई देता है तथा कभी इसके परिणाम कुछ समय पश्चात् दिखाई देते है। इस संबंध में डॉ. सिंह ने डीडीटी कीटनाशक का उदाहरण दिया।
सेमीनार की संयोजक डॉ. अलका तिवारी ने कहा कि यह इंटरनेशनल कान्फ्रेंस पर्यावरण से संबंधित शोधकार्य करने वाले शोधार्थियों के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करेगी, जिसमें इंटरनेशनल वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श एवं उनके द्वारा किए गए शोधकार्यों को जानने का अवसर युवा शोधकर्ताओं को प्राप्त होगा।
कान्फ्रेंस की चेयरपर्सन डॉ. अनुपमा अस्थाना ने बताया कि इस कान्फ्रेंस में आमंत्रित व्याख्यान के साथ-साथ शोधार्थी 5 विभिन्न तकनीकी सत्रों में अपने शोधपत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। यह सेमीनार महाविद्यालय के इतिहास में मील का पत्थर सिध्द होगा।
कान्फ्रेंस के प्रथम दिन आयोजित तीन तकनीकी सत्रों में लगभग 30 से अधिक शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में आयोजित प्रथम तकनीकी सत्र में बार्क मुंबई के प्रोफेसर बी.एस. तोमर तथा मुंबई के ही प्रोफेसर ए.के. सिंह ने आमंत्रित व्याख्यान दिये। द्वितीय तकनीकी सत्र में शारदा विश्वविद्यालय, नोयडा के प्रोफेसर एन.बी. सिंह, मुंबई के प्रोफेसर वाय.के. भारद्वाज ने पर्यावरण से संबंधित मटेरियल्स पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता बांग्लादेष प्रोफेसर एम.वाय. अली मुलाह तथा नेपाल के प्रोफेसर आर.अधिकारी ने की। तृतीय तकनीकी सत्र में अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका के प्रोफेसर एस.बी. जोनाल गड्डा ने तथा सह संयोजक के रूप में डॉ. एस.पी. सिंह उपस्थित थे। इस सत्र में नेपाल के प्रोफेसर आर. अधिकारी तथा ढाका बांग्लादेष के प्रोफेसर मोहम्मद ए.बी.एच. सूजन ने अपना आमंत्रित व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन रसायन विभाग की पोस्ट डॉक्टरेट छात्रा डॉ. भावना जैन ने किया। समारोह में उपस्थित प्रत्येक अतिथि को महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने बस्तर आर्ट पर आधारित स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। उद्घाटन समारोह में साईंस कालेज, दुर्ग के समस्त प्राध्यापकों के अलावा कल्याण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वाय. आर. कटरे, सुन्दर लाल शर्मा ओपन युनिवसिर्टी के क्षेत्रीय निर्देषक डॉ. डी.एन. शर्मा एवं अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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