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उच्च शिक्षा में ऑनलाइन कक्षाओं को हमें स्वीकारना होगा – डॉ. पल्टा

Jun 10, 2020

हेमचंद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार

International Webinar on Englishदुर्ग। हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोविड-19 वें के कारण परंपरागत कक्षा आयोजित न हो पाने के कारण ऑनलाईन कलासेस, वर्चुअल क्लासरूम का प्रयोग हो रहा है। हम सभी को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे इस परिवर्तन को स्वीकारना होगा। वे विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय इंटीनेशनल वेबीनार के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं। डॉ. पल्टा ने कहा कि वर्चुअल क्लासेस परंपरागत कक्षाओं का पूरक हो सकती हैं परन्तु पूर्ण रूप से उनका स्थान नहीं ले सकतीं। डॉ पल्टा ने कहा कि वर्चुअल क्लासेस के अनेक फायदे हैं जिन्हें स्वीकारते हुए हमें परिवर्तन को रचानात्मक रूप से स्वीकारना होगा।इससे पूर्व वेबीनार की आयोजक डॉ सोमाली गुप्ता ने वेबीनार के विषय ’’इमर्जिंग चैलेंज इन टीचिंग लिटरेचर एंड लैग्वेज इन द वर्चुअल वर्ल्ड’’ की प्रासंगिता पर प्रकाश डाला। डॉ. सोमाली ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण पद्धति हमारे भारत में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों दोनों के लिये नई है। अतः दोनों तरफ से प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। अंग्रेजी विभाग की विभागध्यक्ष डॉ. मीता चक्रवर्ती ने स्वागत भाषण दिया। प्राचार्य डॉ. आर. एन. सिंह की अस्वस्थता के कारण वे भौतिक रूप से वेबीनार में शामिल नहीं हो सके। उनका शुभकामना संदेश अंग्रेजी की प्राध्यापक डॉ. सुचित्रा गुप्ता ने पढ़ा। लगभग 10 देशों के 300 प्रतिभागियों ने इस इंटरनेशनल वेबीनार में हिस्सा लिया। प्रथम दिवस में रूस, अमेरिका, जार्जिया, सर्बिया, यूके, कनाडा, यूएई, तेहरान,जर्मनी, फ्रांस आदि देशों के प्रतिभागीयों के साथ-साथ भारत के 20 प्रदेशों के प्राध्यापक एवं शोधकर्ता शामिल थे।
वेबीनार के प्रथम स्त्रोत वक्ता के रूप में सर्बिया की यूनिवर्सिटी ऑफ निस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नाडेजा स्टोजकोविक ने ’’ऑनलाईन टीचिंग इन स्पेसिफिक परपज’’ विषय पर रोचक व्याख्यान दिया। डॉ. नाडेजा ने कहा कि अनेकता में एकता वाला भारत ऑनलाईन शिक्षण के माध्यम से भी विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि कैन्ब्रिज वि.वि. में सत्र 2021 में पूरी पढ़ाई ऑनलाईन होगी। हमें परिवर्तन को कैसे स्वीकारना है इस बात को सीखने की आवश्यकता है। बेबीनार के दौरान पैनल डिस्कशन में प्रोफेसर मनीष श्रीवास्तव, डॉ. दीपवित्ता श्रीवास्तव डॉ. सविता सिंह, डॉ मीनू भाटिया कपूर शामिल थी। पैनल परिचर्चा का संचालनल साइंस कॉलेज दुर्ग की डॉ. मर्सी जार्ज ने किया।
दूसरे तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता इंस्ट्टियूट ऑफ एडवांस स्टडीज इन इंग्लिश, पुणे के डायरेक्टर डॉ अशोक थोराट ने ’’टीचिंग इन वर्चुअल वर्ल्ड- बिल्डिंग लर्नर ऑटोनामी एंड इन्गेजमंट’’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। डॉ. थोराट ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में परंपरागत कक्षा से वर्चुअल ऑनलाईन शिक्षण पद्धति में परिवर्तन एक कड़ी चुनौती है। शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों इस पद्धति के विशेषज्ञ नहीं है। दोनों बस सीखने का प्रयास कर रहा है। प्रारंभ में हर अच्छे कार्य में कठिनाइयां आती हैं। हमें इसका सामना करना पड़ेगा। दोनों ही व्याख्यानों में लगभग 10 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछे। विशेषज्ञों ने बड़े धैर्य से प्रतिभागियों की जिज्ञासा को शांत किया। वेबीनार के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ कमर तलत ने किया। वेबीनार की आयोजन सचिव डॉ. सोमाली गुप्ता ने जानकारी दी कि वेबीनार के दूसरे दिन 08 जून को प्रातः 10.00 बजे से आयोजित होने वाले आमंत्रित व्याख्यानों में बिक्रम वि.वि.उज्जैन के प्राध्यापक डॉ सबल वर्मा, नार्थ मैकडोनिया के दर्शनशास्त्र की प्राध्यापक डॉ. सोल्जिका पोपावस्का तथा सीसीपी विश्वविद्यालय, अमेरिका की डॉ. धनश्री थोराट का व्याख्यान शामिल है।

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