भिलाई। इस शरीर रूपी पुतले के अंदर मैं चेतन शक्ति हूँ, जिसे तनाव, दुःख, अशांति, सुख, आदि की अनुभूति होती है। राजयोग द्वारा इसी शक्ति पुंज को दिव्य बनाना है। उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक ब्रह्मकुमारी प्राची दीदी ने कहीं। आंतरिक जगत को सुन्दर बनाए जाने के विषय पर केन्द्रित यह कार्यक्रम यूट्यूब चैनल ब्रह्माकुमारीज़ भिलाई पर प्रसारित हो रहा है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के उदाहरण से समझाया कि जब हमें स्वयं की पहचान मिल जायेगी तो जीवन की 80 प्रतिशत समस्या हल हो जायेगी।
मै परिस्थितियों से ज्यादा शक्तिशाली हूँ इस संकल्प से नई शुरुआत करें। हम दूसरों से अपेक्षा रखते है और दूसरे हमसे लेकिन दोनों ही खाली है जिसका नतीजा टकराव, अशांति होती है।
राजयोग हमें निस्वार्थ भाव से कर्म करना सिखलाता है।
राजयोग से हमें आंतरिक राज़ों को जानना है जिसमे असीमित शक्तियां है। निस्वार्थ भाव से प्रकृति, पशु पक्षियों और मनुष्य आत्माओं को स्नेह देना है। निस्वार्थ स्नेह से तो हिंसक पशु भी दोस्त बन जाते है। पानी को यदि पकड़ने की कोशिश करेंगे तो हाथ से पानी निकल जाता है वैसे ही यदि हम अधिकार और स्वार्थ से व्यवहार में आएंगे तो प्रभाव नहीं पड़ता है। अशांति होती है।
दिल से देते चलो दूआएं सबका भला हो सब सुख पायें.. गीत द्वारा योगानुभूति भी कराई गई। यह योग का कार्यक्रम ऑनलाइन 22 जून तक रहेगा।