दुर्ग। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आज हेमचंद विश्वविद्यालय में योग की एक नई पद्धति की जानकारी दी गई। कुलपित डॉ अरुणा पल्टा भी इस योग कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं। इस विधा को आगे बढ़ा रहे हैं बॉडी रेडी के संचालक नागभूषण राव रेड्डी। उन्होंने बेहद सरल विधि से शरीर के विभिन्न अंगों तक रक्त पहुंचाने की विधि का न केवल विस्तार से वर्णन किया बल्कि इसका अभ्यास भी कराया।आरंभ में श्री रेड्डी का स्वागत कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने किया। उन्होंने कहा कि भगवत गीता में स्वयं भगवान ने कहा है कि जब आप श्वांस लेते हैं तो वर्तमान का स्वागत करते हैं और जब श्वांस छोड़ते हैं तो अपनी अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि वे बॉडी रेडी प्रोग्राम से जुड़ चुकी हैं तथा इसका लाभ वे महसूस कर रही हैं। संचालन विवि के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने किया।
ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में श्री रेड्डी ने कहा कि वे स्वयं कोविड से संक्रमित हो गए थे। पर वे शुक्रगुजार हैं। उन्हें फेफड़ों की परेशानी थी। साथ ही श्वांस नली सिकुड़ गई थी। कोविड के इलाज के बाद फेफड़ों की सभी बीमारियों से मुक्ति मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि पूरे शरीर का नियंत्रण एंडॉर्फिन, डोपामाइन, सेरेटोनिन और ऑक्सिटोसिन करते हैं। इन्हें सक्रिय करना बेहद आसान है। मौका मिलते ही खूब हंसें, दूसरों की सराहना करें, दूसरों की मदद करें और बुजुर्गों का स्पर्श करें।
उन्होंने बताया कि किस तरह अपनी हथेलियों, हाथों, कुहनियों और घुटनों को थपकाकर अलग अलग बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने माला पहनने, कानों में झुमके पहनने के पीछे के विज्ञान का खुलासा करते हुए कहा कि पहले गुरुजी हाथों पर मारते थे और कान खींचते थे। अब गुरुजी ऐसा नहीं कर सकते इसलिए स्वयं ऐसा कर लेना चाहिए। कानों को मरोड़ने, मसलने और खींचने के साथ ही कानों के पीछे की हड्डियों को नीचे से ऊपर की और रगड़ना चाहिए। इससे कम और सर्दी में आराम मिलता है। उन्होंने पैरों के तलुवों से गेंद को रोल कर शरीर के सभी अंगों को संचालित करने का तरीका भी बताया।
उन्होंने एक्यूपेंक्चर, एक्यूप्रेशर, शियात्सू और योग को मिलाकर एक इतना आसान तरीका विकसित किया है जिसे बैठे बैठे किया जा सकता है। इसमें कोई भी कठिन मुद्रा नहीं है। दिन पर कुर्सियों पर बैठकर काम करने वाले, खास तौर पर कम्प्यूटर पर काम करने वालों के लिए यह तरीका बेहद मुफीद है।
फ्रोजन शोल्डर और कंधे के दर्द का फर्क समझाते हुए उन्होंने कहा कि फ्रोजन शोल्डर में कोई और छुए तब भी दर्द होता है जबकि कंधे के दर्द में ऐसा नहीं होता। इससे निजात पाने के लिए उन्होंने बताया कि हाथों को फैला कर कंधों को आगे पीछे रोल कराने से लाभ होता है।
उन्होंने कहा कि प्राणायाम शांति से बैठकर करें। उन्होंने कहा कि अभ्यास खुश मन से, मुस्कुराते हुए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग भारतीय ज्ञान है जिसे हमने लाल कपड़े में बांधकर आलमारी में रख दिया जबकि पश्चिम ने इसे खोलकर पढ़ा और यही ज्ञान नए रूप में हमें लौटा रहे हैं।
अंत में डीएसडब्लू डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए इसे एक अभूतपूर्व सत्र बताया। उन्होंने कहा कि यह अपेक्षा से अधिक था और निश्चित तौर पर सभी को लाभान्वित करेगा। यह एक आसान तरीका है जिसे बेहद आनंद के साथ किया जा सकता है।