भिलाई। शासकीय वीवायटी महाविद्यालय दुर्ग के संस्कृत विभागाध्यक्ष जनेद्र कुमार दीवान ने आज कहा कि जो शिष्य गुरु के मार्गदर्शन में चलते हैं वे कुल, वंश, देश का नाम रोशन कर जीवन को कृतार्थ करते हैं। महर्षि वेदव्यास और गुरु-शिष्य परम्परा का वर्णन करते हुए उन्होंने वेद, रामायण, महाभारत, पुराण कालीन प्रसंगों का उल्लेख किया। साथ ही वशिष्ठ-राम, सान्दीपनी-कृष्ण, परशुराम-कर्ण, चाणक्य-चन्द्रगुप्त आदि गुरु-शिष्य के प्रसंग सुनाए।श्री दीवान इंदिरा गांधी शासकीय कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय वैशालीनगर में व्यास जयंती एवं गुरु पूर्णिमा के अवसर पर “गुरु पूर्णिमा के महत्व” विषय में संस्कृत एवं हिन्दी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
अतिथि वक्ता डॉ अभिनेष सुराना हिन्दी विभागाध्यक्ष शासकीय वीवायटी महाविद्यालय ने गुरु-शिष्य संबंध पर गहन प्रकाश डाला।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अलका मेश्राम ने महर्षि वेदव्यास के कृतित्व, वेद, पुराण व गुरुओं में माता प्रथम गुरू होती है l गुरु पूर्णिमा न केवल भारत में ही नहीं अपितु नेपाल, भूटान आदि देशों में भी मनाया जाता है l और गुरु -शिष्य परम्परा, गुरु के आदर्शों पर प्रकाश डाला l
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ श्रीमती अलका मेश्राम एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ कैलाश शर्मा के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष महेश कुमार अलेन्द्र ने किया। कार्यक्रम की शुभारंभ बीए अंतिम की छात्रा कुमारी देवश्री साहू ने मंगलाचरण श्लोक पाठ की।
अंत में हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक कौशल्या शास्त्री ने मुख्य अतिथियों व समस्त प्राध्यापकों, छात्रों, प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।