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गुरू पूर्णिमा पर स्वरूपानंद महाविद्यालय में परिचर्चा

Jul 24, 2021
Guru Purnima Observed at SSSSMV

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय में शिक्षा एवं कला संकाय के संयुक्त तात्वावधान में गुरुपूर्णिमा पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। आरंभ में शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष एवं सह. प्राचार्य डॉ. अज़रा हुसैन ने कहा कि मां प्रथम गुरु होती है जो बच्चों को संस्कार देती है। गुरु शिष्य की परंपरा देश की विरासत है इसे आगे बढायें।महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि गुरू को बड़ा दर्जा देने का गूढ़ रहस्य है कि गुरु शिष्य को अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है, शिक्षक के लिए पहले गुरू शब्द का ही उपयोग होता था। प्राचीन काल में शिक्षा घर से दूर गुरुकूल में दी जाती थी, जहॉं आचार-व्यवहार आदि सभी गुण गुरू द्वारा सिखाया जाता था। शिष्य आदर्श नागरिक बनकर निकलता था। आज भी शिक्षक गुरु बनकर विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक बनाये जिससे स्वस्थ्य समान और सशक्त राष्ट्र बनाये।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने गुरू पूर्णिमा के अवसर पर सभी प्राध्यापकों और छात्रों को बधाई एवं शुभकामनाये दी। मंजु कनौजिया ने कहा कि गुरू ही शिष्य को भावी नागरिक बनाता है। डॉ. दुर्गावती मिश्रा सहायक प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने कहा कि आजीवन अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए।
सिद्धी वर्मा बीएड द्वितीय सेमेस्टर ने वक्त की अहमियत सिखाने वाले गुरू आप थे कविता के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। ज्योति कुमारी एमएड द्वितीय सेमेस्टर ने कहा कि गुरु गोविन्द दोउ खडे़ काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताये अर्थात् गुरु के महत्ता के कारण उन्हें भगवान से भी बड़ा दर्जा दिया जाता है। ओमिन साहू बीएड चतुर्थ सेमेस्टर ने गुरु की महत्ता को स्वरचित कविता जीवन का महत्व बनाया, वो और कोई नहीं गुरु ही है के माध्यम से व्यक्त किया जिसने है
अरिहंस राज गुप्ता बीएड प्रथम सेमेस्टर ने जानवर इंसान में जो भेद बताये वही सच्चा गुरु कहलाये, जीवन पथ पर जो चलना सिखाये, वहीं सच्चा गुरु कहलाये। कविता के द्वारा गुरु के प्रति अपने भाव प्रकट किये। नीलम यादव ने अपने संस्मरण में अपने गणित के बीएड चतुर्थ सेमेस्टर टीचर कंवर जी को याद किया और बताया कि उनके मार्गदर्शन से ही वो प्लाटून कमांडर के पद पर पहुची। रानी रजक ने कविता के माध्यम से गुरु की महत्ता का बखान किया।
दामिनी साहू ने ’’गुरु में संसार समाया, उनका है आशीष पाया, प्रमु ने खुद से भी ऊंचा, गुरु का स्थान बताया‘‘ कविता प्रस्तुत की। धनेश्वरी कुर्रे ज्ञान के है रास्ते कई, कोई गलत तो कोई सही, ज्ञान ही यश दिलाये, ज्ञान ही यश से गिराये, भावपूर्ण कविता के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। मिनती बेहेरा गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः के माध्यम से गुरु को याद किया। कामिनी सहारे ने कविता पाठ किया।
कार्यक्रम में शिक्षा एवं कला संकाय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. तृषा शर्मा ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. दुर्गावती मिश्रा, श्रीमती मंजू कनौजिया, डॉ. पूनम शुक्ला, डॉ. शैलजा पवार ने विशेष सहयोग दिया। कार्यक्रम में शिक्षा एवं कला संकाय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. तृषा शर्मा ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. दुर्गावती मिश्रा, श्रीमती मंजू कनौजिया, डॉ. पूनम शुक्ला, डॉ. शैलजा पवार ने विशेष सहयोग दिया।

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