दुर्ग। केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति प्रोफेसर रामा एस. दुबे ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा एवं शोध की गुणवत्ता को बनाये रखने पर जोर दिया। उन्होंने शोध का पेटेंटीकरण एवं आईआईटी, एनआईटी तथा अन्य उच्चतर संस्थानों में समान शोध गुणवत्ता लाने की बात कही तथा वर्तमान महामारी के समय में सभी युवा वैज्ञानिकों को गुणवत्तापूर्ण रिसर्च के लिए प्रोत्साहित किया। प्रोफेसर दुबे शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के रसायन शास्त्र एवं बायोटेक्नालॉजी विभाग द्वारा रिसर्च एण्ड टीचिंग मैथेडोलॉजी विषय पर आयोजित 6 दिवसीय इन्टरनेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा महाविद्यालयों में कार्यरत् प्राध्यापकों/सहायक प्राध्यापकों को रिसर्च एवं शिक्षा से जुड़े नवीन तकनीकी के संबंध में जानकारी दी।
प्रथम तकनीकी सत्र के विशेषज्ञ एसबीएसआर एण्ड रिसर्च एण्ड टेक्नालॉजी डेव्हलपमेंट सेंटर शारदा विश्वविद्यालय, नोयडा के प्रोफेसर एन.बी. सिंह ने अपने व्याख्यान में रिसर्च मैथेडोलॉजी के विभिन्न आयामों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने रिसर्च पेपर पब्लिकेशन हेतु आवश्यक बिंदुओं साईटेंशन इण्डेक्स तथा रिसर्च पेपर राइंटिग पर अत्यंत बारीकी से महत्वपूर्ण जानकारियां दी तथा युवा वैज्ञानिकों द्वारा अधिक से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए जाने पर जोर दिया।
द्वितीय तकनीकी सत्र के विशेषज्ञ डीन रिसर्च एण्ड एलाईड हेल्थ साईंसेस शारदा विश्वविद्यालय, नोयडा के प्रोफेसर भुवनेश कुमार ने पब्लिक हेल्थ से संबंधित बहुत ही रोचक जानकारियां दी। उन्होंने मनुष्य की शारीरिक एवं मानसिक अवस्थाओं पर योग के प्रभावों को समझाया, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि कोविड-19 के वर्तमान महामारी के दौर में स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शोध का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए तथा इसमें योग को विशेष रूप से सम्मिलित किया जाना चाहिए।
इस इन्टरनेशनल फैकल्टी डेव्हलपमेंट प्रोग्राम के संरक्षक प्राचार्य डॉ आर.एन. सिंह, समन्वयक डॉ अनुपमा अस्थाना, सह-समन्वयक डॉ अलका तिवारी तथा आयोजन सचिव डॉ अजय सिंह एवं डॉ अनिल कुमार है। इस प्रोग्राम में विभिन्न देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भारत आदि के विशेषज्ञ एवं प्रतिभागी सम्मिलित है।