दुर्ग। हिन्दी की वर्णमाला का स्वरूप वैज्ञानिक है। उसका उच्चारण, स्थान, ध्वन्यात्मक रूप बहुत स्पष्ट है। इसे अभ्यास से सीखा जा सकता है तथा इसका स्पष्ट उच्चारण एवं लेखन संभव है। यह बातें शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के डॉ शंकरमुनी राय ने आज व्यक्त किये। वे शासकीय वि.या.तामस्कर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।तामस्कर कालेज दुर्ग एवं दिग्विजय कालेज राजनांदगांव के बीच फैकल्टी एक्सचेंज का समझौता है। डॉ राय ने हिन्दी वर्णमाला का वर्गीकरण करते हुए उसके स्वरों एवं व्यंजनों के विभन्न प्रकारों को स्पष्ट किया व उससे बनने वाले शब्दों को उदाहरणों के साथ बड़े ही रोचक ढंग से समझाया।
कार्यक्रम के आरंभ में विभाग के अध्यक्ष डॉ अभिनेष सुराना ने स्वागत उद्बोधन के साथ प्रस्तावना रखी। कार्यक्रम का संचालन प्रो. थानसिंह वर्मा ने किया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों के साथ शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के प्राध्यापक तथा विद्यार्थियों ने पटल से जुड़कर व्याख्यान का लाभ उठाया। आभार ज्ञापन डॉ अभिनेष सुराना ने किया।