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माता-पिता व गुरुजनों को समर्पित की उपलब्धियां

Aug 22, 2021
MSSCT pays tribute to parents and teachers

भिलाई। एक विलक्षण सोच के तहत मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्यों ने शनिवार को अपनी सफलता एवं उपलब्धियों का श्रेय अपने माता-पिता एवं गुरुजनों को समर्पित किया। उम्र के इस पड़ाव पर किसी की मां नहीं रही तो कोई पिता की छत्रछाया से वंचित है। बचपन की डांट-फटकार और पिटाई भी अब मधुर स्मृतियों में तब्दील हो चुकी हैं। बड़े हो चुके इन बच्चों ने जब अपने भावों को व्यक्त किया तो अनेक आंखें नम हो गईं। सांसद विजय बघेल आयोजन के मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम के आरंभ में टी यामिनी, प्रगति, उन्नति, दीपेश, हेतल, आदित्य ने विद्यार्थी जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि माता-पिता के स्नेह, समर्थन और आशीर्वाद के साथ ही डॉ संतोष राय एवं डॉ मिट्ठू से लगातार मिली प्रेरणा एवं मार्गदर्शन के कारण ही आज वे सफलता की राह पर अग्रसर हैं। ये बच्चे डॉ संतोष राय इंस्टीट्यूट से जुड़कर सीए/सीएमए में सफल हुए हैं। उन्होंने बताया कि जब भी कभी हौसला टूटने लगा और राह कठिन लगने लगी तो गुरुजनों का स्नेह ही उनका संबल बनीं।
ट्रस्ट के सदस्य एवं उर्दू के स्थापित साहित्यकार रौनक जमाल ने कहा कि मां की गोद यदि पहली पाठशाला है तो पिता उसके हेडमास्टर हैं। वे उर्दू और फारसी की तालीम लेना चाहते थे। पिता साहित्यकार थे। उन्होंने भी बचपन से ही शेरों शायरी करनी शुरू कर दी तब पिता ने समझाया कि अभी कर्त्तव्य शिक्षा पूर्ण करने की है। पहले उसे कर लो, फिर शेरों शायरी भी हो जाएगी। उन्होंने पिता की बात मानी और आज सफलता उनके कदम चूम रही है। उनकी 18 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
जगदीश तुलसवानी ने बताया कि सात भाई बहनों में वे छठवें क्रम पर थे। माता-पिता का बच्चों के प्रति समर्पित जीवन उनके जीवन का मार्गदर्शक बना। वे अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता से मिले संस्कारों को देते हैं। डॉ संतोष राय इंस्टीट्यूट के प्राध्यापक सीए केतन ठक्कर ने अपने माता पिता के साथ ही अपनी सफलता श्रेय अपने गुरू डॉ संतोष राय, डॉ मिट्ठू और अपनी पत्नी भावना को दिया।
फजल फारूकी ने कहा कि उनकी मां ने उन्हें दो बार जन्म दिया। दूसरी बार तब जब 1995 में वे एक हादसे का शिकार हो गए। जब तक वे पूरी तरह ठीक नहीं हो गए, मां लगातार उनके पास बैठकर उनकी सेवा करती रही। उन्होंने दूसरी बार उन्हें जीवन दान किया।
सफल उद्यमी अमित श्रीवास्तव ने बताया कि वे सात भाई बहन थे। माता पिता ने अपना सबकुछ उनपर न्यौछावर कर दिया। उनकी कोशिश है कि वे भी अपने माता-पिता की तरह सरलता से परिपूर्ण निस्वार्थ जीवन यापन कर सकें।
रमेश पटेल ने बताया कि समाज के प्रति अपनी जवाबदारी की सीख उन्हें अपने माता पिता से ही मिली। आज वे जो कुछ भी कर रहे हैं उन्हीं के आशीर्वाद और प्रेरणा से कर पा रहे हैं।
डॉ विकास शर्मा ने कहा कि माता-पिता से केवल स्नेह और प्रेम का ही संबंध नहीं है बल्कि उनके साथ लड़ाइयां भी खूब हुई हैं। पर इससे रिश्तों में कभी दरार नहीं आई बल्कि वे पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गए। कर्म जीवन में प्रवेश के अपने पहले अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि फजल फारूकी के यहां किराएदार बने। श्री फारूकी किराए की तारीख को लेकर बहुत पक्के थे पर जब संकट की घड़ी आई तो उन्होंने ही बिना मांगे एक लाख रुपए देकर उनकी मदद भी की। जीवन ऐसे ही आगे बढ़ता है।
डॉ संतोष राय ने अपने अंदाज में पहले तो यही कहा कि उन दिनों मनोरंजन के बहुत ज्यादा साधन नहीं हुआ करते थे। माता पिता अपने बच्चों को पीट कर ही अपना तनाव कम कर लिया करते थे। फिर बेहद भावुक स्वर में उन्होंने बताया कि मां जब तक जीवित रहीं, सामने बैठकर भोजन कराती रही और उनके जाने के बाद पिता ने यह जिम्मेदारी उठा ली। ऊपर से बेहद कठोर पिता के अंतस का यह कोमल पक्ष उन्हें आज भी रुलाता है।
इस अवसर पर ट्रस्ट के नए सदस्य श्री शंकराचार्य महाविद्यालय की निदेशक प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह एवं कॉमर्स इंस्टीट्यूट के संचालक खूबचंद साहू को सांसद विजय बघेल ने सम्मान के साथ ट्रस्ट की सदस्यता का प्रमाणपत्र सौंपा।
अपने अतिथि उद्बोधन में सासद विजय बघेल ने बताया कि 22 वर्ष पहले उन्होंने अपने पिता को खो दिया और दो वर्ष पहले मां भी परलोक गमन कर गईं। पर उनसे मिले संस्कारों के बल पर ही वे अपने जीवन में कुछ कर पाए। उन्होंने कहा कि मां अपने बच्चे को नौ माह तक कोख में रहकर अपने खून से उसे सींचती है और उसके बाद भी अपनी छाती का दूध पिलाकर उसे स्वतंत्र जीवन के लिए तैयार करती है। मां के इस ऋण को कभी उतारा नहीं जा सकता। डॉ संतोष राय ने अपनी माता शारदा के नाम पर इस संस्था की नींव रखी जिसमें आज सभी अपने माता-पिता से जुड़ी स्मृतियों को साझा कर रहे हैं। इस विशाल परिवार से जुड़ने को वे अपना सौभाग्य समझते हैं। यह अवसर भी उन्हें अपने माता-पिता के आशीर्वाद से ही प्राप्त हुआ है।

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