भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के अस्थि रोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ बीएल चन्द्राकर ने आज कहा कि आम तौर पर जोड़ों का दर्द होते ही लोग यह मान लेते हैं कि उन्हें आर्थराइटिस या गाउट हो गया है। यह गलत है। दोनों अलग-अलग बीमारियां हैं और अलग अलग कारणों से होती है। उन्होंने आर्थराइटिस की पहचान और इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा की।डॉ चन्द्राकर आज हाइटेक हॉस्पिटल के हेल्थ टॉक कार्यक्रम को फेसबुक लाइव पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है जबकि गाउट मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के कारण होता है। उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस भारत में बेहद आम बीमारी है। प्रतिवर्ष इसके लगभग 10 लाख नए मामले सामने आते हैं। पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं को ज्यादा आक्रांत करता है। हालांकि किसी भी पैथी में इसका कोई स्थायी इलाज नहीं पर दवाओं से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है तथा जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जोड़ों में होने वाले किसी भी दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए। तत्काल किसी अस्थि रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। यदि यह आर्थराइटिस है तो इसका तत्काल प्रबंधन कर जोड़ों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस का दर्द आम तौर पर हाथ और पैर के छोटे-छोटे जोड़ों से प्रारंभ होता है। आम तौर पर यह शरीर के दोनों तरफ होता है, परन्तु हमेशा ऐसा हो यह भी जरूरी नहीं है। इसका ठीक ठीक पता लगाने के लिए पैथोलॉजी टेस्ट तथा इमेजिंग की जरूरत पड़ सकती है। सटीक कारण का पता लगाने के बाद ही इलाज तजवीज की जाती है।
उन्होंने बताया कि समय पर इलाज न होने पर जोड़ नष्ट हो सकते हैं जिसके बाद केवल सर्जरी ही उपाय रह जाता है। समय पर इलाज प्रारंभ कर हम इसे टाल सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।