भिलाई। एमजे स्कूल न्यू आर्यनगर कोहका के बच्चों ने प्रकृति की रक्षा के लिए शुद्ध मिट्टी की गणेश के निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया। हस्तशिल्प निगम, इंदौर की प्रशिक्षित माटी शिल्पकार तृप्ति मिश्रा ने उन्हें यह प्रशिक्षण ऑनलाइन प्रदान किया। कुछ बच्चों के लिए इस कार्यशाला से जुड़ने की व्यवस्था स्कूल में ही की गई थी। स्कूल की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने बताया कि प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में गणपति की प्रतिमाओं को पूजा जाता है। इनमें से अधिकांश का विसर्जन आज भी तालाबों में तथा अन्य जल स्रोतों में किया जाता है। मिट्टी तो घुल जाती है पर इसके साथ ही हानिकारक रासायनिक रंग, सजावट के काम आने वाला प्लास्टिक भी तालाबों के तल में बैठ जाता है। इससे न केवल हमारे जलस्रोत नष्ट हो रहे हैं बल्कि जलीय जीवों के जीवन को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। इसके दुष्प्रभाव से मनुष्य भी अछूता नहीं है। इसलिए मिट्टी के स्वनिर्मित गणेश बनाकर घर पर इन्हीं मूर्तियों की पूजा करने के लिए लोगों को प्रेरित करने यह आयोजन किया गया है।
स्कूल की प्राचार्य मुनमुन चटर्जी ने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन इंदौर से लाइव किया गया जिसमें बच्चों के साथ साथ उनके पालकों ने भी हिस्सा लिया। यह एक बेहद मजेदार कार्यशाला थी जिसमें अनेक बच्चे मिट्टी या बाजार में मिलने वाली क्ले के साथ तैयार थे। उन्होंने प्रशिक्षक के साथ-साथ स्वयं भी मूर्तियां बनाई। यह उनके लिए एक रोमांचक अनुभव था। भाग लेने वाले बच्चों में नेहा वर्मा, अक्षित उपाध्याय, जियांश शर्मा, प्रत्युशा श्री, महक नेताम, आयुष्मान पाठक आदि शामिल थे।