भिलाई। बौद्धिक संपदा वर्षों की मेहनत का परिणाम होती है। शोधार्थियों को इसकी चोरी करने से बचना चाहिए। यदि किसी की बौद्धिक संपदा का उपयोग करना आवश्यक हो तो इसके लिए अनुमति लेना जरूरी होता है। उक्त बातें आज डॉ आयुष खरे ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर आयोजित वेबीनार के पहले सत्र को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। इस ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन एमजे कालेज भिलाई तथा एसएस खन्ना गर्ल्स डिग्री कालेज प्रयागराज द्वारा एमओयू के तहत किया गया है।दो दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए डॉ खरे ने बौद्धिक संपदा की पहचान, बौद्धिक संपदा के उपयोग एवं इसके लिए अनुमति लेने की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला। विद्यार्थियों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्लेगियारिज्म साफ्टवेयर शब्दशः चुराई गई ऑनलाइन लिपि या ग्राफिक्स की पहचान करता है। अधिकांश प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाएं इसमें जीरो परसेंट टालरेंस का मापदण्ड अपनाती हैं, अर्थात कोई भी हिस्सा चोरी किया हुआ नहीं होना चाहिए। कुछ अन्य पत्रिकाएं 20 फीसदी तक कॉपी पेस्ट की छूट देती हैं।
प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ भारती दास ने पेटेंट कानून के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने पेटेंट की आवश्यकता व इसके लाभ की चर्चा करते हुए पेटेंट हासिल करने की प्रक्रिया की जानकारी दी।
पहले सत्र में वक्ता का परिचय एमजे कालेज की आईक्यूएसी प्रभारी अर्चना त्रिपाठी ने दिया। दिव्तीय सत्र में वक्ता का परिचय डॉ शालिनी रस्तोगी ने दिया। कार्यशाला का संचालन एमजे कालेज की सहा. प्राध्यापक ममता एस राहुल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने किया। कार्यशाला के आयोजन में एमजे कालेज के शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया, एसएस खन्ना कालेज की प्राचार्य डॉ लालिमा सिंह, डॉ ममता भटनागर, डॉ मंजरी शुक्ला का महत्वपूर्ण योगदान रहा।