• Fri. Apr 26th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

होती रही दिमाग की सर्जरी, मरीज करता रहा बातें

Oct 23, 2021
6th awake craniotomy performed at Wockhardt

भिलाई। न्यूरोसर्जन्स की टीम मरीज के दिमाग की सर्जरी करती रही और वह उनसे बातें करता रहा। मरीज को इस बात का अहसास तो था कि उसके सिर के भीतर कुछ हो रहा है पर उसे दर्द का कोई अहसास नहीं था। दरअसल मस्तिष्क में दर्द का अहसास जगाने वाले रेशे नहीं होते। न्यूरो सर्जन डॉ राहुल झामड़ ने बताया कि यह  सब संभव हो पाया लोकल एनेस्थीसिया और मामूली सेडेटिव्स की मदद से।अवेक क्रेनियोटॉमी या जागृत अवस्था में ब्रेन सर्जरी का यह मामला वोकहार्ट हॉस्पिटल, नागपुर का है। न्यूरो सर्जन डॉ राहुल झामड, न्यूरो एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ अवन्तिका जायसवाल की टीम ने यह सर्जरी की है। यह उनकी छठवीं सर्जरी थी। डॉ जमाल ने बताया कि मरीज को ब्रेन ट्यूमर था। इस सर्जरी का उद्देश्य मस्तिष्क के संवेदनशील हिस्सों को सुरक्षित रखते हुए ट्यूमर के ज्यादा से ज्यादा हिस्से को निकालना था। ऐसी सर्जरी की खास बात यह होती है कि मरीज का हॉस्पिटल स्टे काफी हद तक कम हो जाता है।
डॉ जमाल ने बताया कि आमतौर पर मस्तिष्क की सतह पर कुछ ही फंक्शन्स के केन्द्र होते हैं। सतह के नीचे नसों के गुच्छे होते हैं जो मेरूरज्जु (स्पाइनल कार्ड) तक जाते हैं। सर्जरी के दौरान इन नसों की लगातार मैपिंग करनी होती है ताकि इनके द्वारा संपादित होने वाले कार्यों पर नजर रखी जा सके। ऐसा करने पर सर्जरी के दौरान इन्हें बचाते हुए ट्यूमर को निकालना संभव हो जाता है। महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं को चोट पहुंचने पर स्थायी विकलंगता आ सकती है।
उन्होंने बताया कि अवेक क्रेनियोटॉमी तकनीक का उपयोग आम तौर पर फ्रांटल, पैरिएटल तथा टेम्पोरल लोब्स के ट्यूमर सर्जरी के लिए किया जाता है। खोपड़ी को चीर कर मस्तिष्क तक पहुंचने के दौरान मरीज बेहोश रहता है पर मस्तिष्क की सर्जरी के दौरान वह जागृत अवस्था में ही रहता है। इस दौरान वह सर्जन से वार्तालाप कर सकता है। इस सर्जरी में काफी वक्त लग सकता है और इस पूरे दौरान न्यूरो एनेस्थीसियोलॉजी की टीम उसके साथ बनी रहती है।
मरीज की जागृत अवस्था का यह लाभ होता है कि सर्जरी के दौरान शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाले मामूली परिवर्तनों की तरफ वह सर्जन का ध्यान आकर्षित कर सकता है। इसमें अंगों में कमजोरी महसूस होना, झुनझुनी होना, बोलने में परेशानी होना जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं। न्यूरोसर्जन ट्यूमर के आसपास की तंत्रिकाओं में विद्युत तरंग प्रवाहित कर संबंधिक अंगों में हरकत करने की कोशिश करते हैं तथा मरीज की प्रतिक्रिया के आधार पर आगे बढ़ते हैं। मस्तिष्क के भीतर का काम खत्म होने तथा मरीज के स्टेबल होने के बाद उसे दोबारा बेहोश कर दिया जाता है तथा खोपड़ी के खुले हुए हिस्से को बंद करने की प्रक्रिया की जाती है।
ट्रॉमा केसेज में संभव नहीं
डॉ राहुल झामड़ ने बताया कि ट्रॉमा केसेज में ओपन क्रेनियोटॉमी संभव नहीं हो पाता। मरीज ऐसी स्थिति में नहीं होता कि वह सर्जन का सहयोग करे। ऐसी सर्जरी में 50 फीसदी काम मरीज से मिलने वाले फीडबैक पर आधारित होता है, 30 फीसदी रोल सर्जन की दक्षता का होता और शेष 20 फीसदी न्यूरो एनेस्थीसिया की टीम के जिम्मे होता है।

Leave a Reply