दुर्ग। शोध का उद्देश्य समस्याओं का समाधान ढूंढना होना चाहिए। यह टेक्नोलॉजी के उन्नयन से ही संभव है। शोध को दिशा देने के लिए सबका मिलबैठकर चिंतन करना जरूरी है। उक्त बातें बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहीं। वे विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर महाविद्यालय (साइंस कॉलेज) में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
महाविद्यालय के टैगोर हॉल में आयोजित इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर सिंह ने कहा कि शोधार्थियों को नई तकनीक से मानव जीवन को सरल एवं सुगम बनाने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। शोध संबंधित समस्या के समाधान में किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि शोधकर्ता नई टेक्नोलॉजी को जानकर उसको अपने शोध में सम्मिलित करें तो इस सम्मेलन की सार्थकता सिद्ध हो जाएगी।
सम्मेलन के सहसंयोजक डॉक्टर विकास दुबे ने सम्मेलन की सारगर्भित जानकारी प्रदान की इस सम्मेलन में विभिन्न प्रांतों से विद्यार्थियों ने अपना शोध मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतीकरण किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं को नई प्रणालियों से अवगत कराना था ताकि शोध करते समय समस्याओं एवं उनके निवारण हेतु नई तकनीक की संभावनाओं का मंथन किया जा सके।
सम्मेलन की संयोजक डॉ जगजीत कौर सलूजा ने मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतीकरण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के नामों की घोषणा की। पोस्टर एवं मौखिक प्रस्तुतीकरण के निर्णायक के रूप में कलपक्कम से आए हुए प्रख्यात वैज्ञानिकों डॉ बीएस पाणिग्रही और डॉक्टर आर के पाधी ने प्रमुख भूमिका निभाई। पोस्टर प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर रामनाथ एवं प्रशांत शिंदे, द्वितीय स्थान पर पवन यादव और प्रथम स्थान पर आरटीएम यूनिवर्सिटी नागपुर से अभिजीत कदम रहे। मौखिक प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर तृप्ति एवं चंद्र शेखर वर्मा, द्वितीय स्थान पर कंचन तिवारी एवं सीजू मिश्रा और प्रथम स्थान अमृताकृष्णन ने प्राप्त किया। एलएसआई अध्यक्ष डाॅ. के.वी.आर. मूर्ति ने इस सोसायटी के माध्यम से ल्यूमिनिसेेंस में शोध कार्य करने हेतु विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि सभी प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों को अधिक से अधिक नवीनतम जानकारी प्राप्त करने का माध्यम बताया।
इसके पूर्व आमंत्रित व्याख्यानो में मदुरई से डॉ एस एम कैनेडी ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया और इसके पश्चात डॉक्टर विकास दुबे ने अपने प्रस्तुतीकरण में फास्फर मैटेरियल का बायोमेडिकल एवं ड्रग डिलीवरी एप्लीकेशन में उपयोग बताये। फॉस्फर की सहायता से यूवी ऊर्जा को दृश्य प्रकाश मैं बदला जा सकता है। बार्क मुंबई से डॉ ए के त्यागी ने अपने व्याख्यान में नवीनतम जानकारियों एवं अपने अनुभवों को साझा किया उन्होंने ल्यूमिनिसेंस से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी एवं उपयोगिता को उदाहरण के द्वारा विस्तार पूर्वक समझाया। टेक्निकल सेशन डॉ अनीता शुक्ला , श्रीमती सीतेश्वरी चंद्राकर, डॉक्टर अभिषेक मिश्रा और डॉ रत्नेश तिवारी द्वारा संचालित किया गया। इस दौरान सभी विद्यार्थियों का इंटरएक्टिव सेशन भी हुआ जिसमें डॉक्टर बीएस पाणिग्रही ने शोध में अपना कैरियर चुनने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया उन्होंने आने वाले समय में किन चीजों की डिमांड होगी वर्तमान में क्या मांग है इस विषय पर विद्यार्थियों को गाइड किया। इसके साथ बदलते परिवेश के साथ स्किल की आवश्यकता व इन्नोवेटिव थिंकिंग पर जोर देने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। विभागाध्यक्ष डॉ जगजीत कौर सलूजा ने ऑर्गनाइजिंग कमेटी को धन्यवाद एवं विद्यार्थियों को अपने भविष्य में सफल होने की शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम का संचालन एमएससी तृतीय भौतिक शास्त्र के नमन ठक्कर तथा कार्यक्रम में राज्य गीत का गायन शालिनी एवं उनकी टीम द्वारा किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ नेहा दुबे द्वारा दिया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ आर एस सिंह, डॉ अनीता शुक्ला, सीतेश्वरी चंद्राकर डॉ अभिषेक कुमार मिश्रा डॉक्टर कुसुमांजलि देशमुख, डॉ विकास दुबे, डॉ नेहा दुबे, डॉ ख्वाजा, नीरज वर्मा, तीरथ सिन्हा, विपुल हरमुख एवं महाविद्यालय के समस्त स्टाफ का सहयोग रहा।।
कार्यक्रम में प्रोफेसर एसके सिंह कुलपति बस्तर विश्वविद्यालय, डॉक्टर केवीआर मूर्ति, डॉ बीएस पाणिग्रही, डॉ संजय धोबले, डॉ. डी.पी. बिसेन, को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। सभी शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के पश्चात हुए इस राष्ट्रीय सम्मेलन की प्रशंसा की एवं आयोजित टीम को बधाई दी। इस सम्मेलन में 200 से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया, सभी उपस्थित शोधार्थी को प्रमाण पत्र वितरण किया गया।