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“राष्ट्रीय एकता में बाधक सामाजिक भेदभाव” विषय पर ई परिचर्चा

Feb 14, 2022
National Unity seminar in SSSSMV

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई में राष्ट्रीय समानता दिवस के अवसर पर जातिगत भेदभाव निवारण समिति एवं हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय एकता में बाधक सामाजिक भेदभाव विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए जातिगत भेदभाव निवारण समिति के संयोजक डॉ. रजनी मुदलियार ने बताया जब प्रकृति हम से भेदभाव नहीं करती तो हम कौन होते हैं मनुष्य को ऊंच-नीच के आधार पर बांटने वाले। जातिगत भेदभाव किसी भी समाज के लिए कलंक के समान है इस का खात्मा बहुत जरूरी है आज आवश्यकता है समाज से जातिगत भेदभाव को दूर करने की जिससे राष्ट्रीय एकता कायम रह सके।।
डॉ सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी ने जाति व्यवस्था पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा जाति प्रथा न केवल हमारे मध्य वैमनस्यता को बढ़ाती है बल्कि ये हमारी एकता में भी दरार पैदा करने का काम करती है। जाति प्रथा प्रत्येक मनुष्य के मस्तिष्क में बचपन से ही ऊंच-नीच, के बीज बो देती है। मीडिया स्वार्थी राजनीतिज्ञों के कारण जातिवाद ने पहले से भी भयंकर रूप धारण कर लिया है, जिससे सामाजिक कटुता बढ़ी है। जाति प्रथा के कारण ही भारत के विभिन्न धार्मिक समूह सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक दूसरे के समीप नहीं आ सके जिसके कारण एक सुदृढ़ समाज का निर्माण नहीं हो पाया।
विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा किसी व्यक्ति को उसके गुण व अवगुण को ना देखकर केवल उसके जाति, धर्म और श्रेणी के आधार पर उससे व्यवहार करना जातिगत भेदभाव कहलाता हैं। जातिगत भेदभाव के कारण कई व्यक्तियों को उनके गुण के होते हुए भी उसके हक़ का सम्मान प्राप्त नहीं होता है। जाति प्रथा के कारण ही भारत के विभिन्न धार्मिक समूह सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक दूसरे के समीप नहीं आ सके जिसके कारण एक सुदृढ़ समाज का निर्माण नहीं हो सका।
अपने उद्बोधन में प्राचार्य डॉ श्रीमती हंसा शुक्ला ने बताया आज जाति और धर्म प्रमुख हो गए हैं अगर हम विचार करें जाति से पहले हम मानव हैं तो जाति व्यवस्था ऐसे ही समाप्त हो जाएगी। वैदिक काल में कहीं भी उपनाम नहीं था । मीडिया और राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दे रही है। आरक्षण के कारण भी जातिगत भेदभाव बढ़ा है। एक व्यक्ति एक वोट ,वैसे ही एक व्यक्ति एक नियम बनाना होगा तभी राष्ट्रीयता में वृद्धि होगी जहां चुनाव आता है वहां जातिगत भेदभाव बढ़ने लग जाता है।
उप प्राचार्य डॉ अजरा हुसैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा भारत में विभिन्न जाति व संप्रदाय के लोग निवास कर रहे हैं। अगर हम मैं को छोड़कर हम में आए तो जाति राष्ट्रीय एकता में कभी बाधक सिद्ध नहीं होगी। वैदिक काल में हमारे यहां वर्ण का वर्गीकरण कर्म के आधार पर था जाति मुलक हो गया। अगर हम अपने नाम के आगे से उपनाम हटा दें तो धीरे-धीरे जाति व्यवस्था स्वयं ही समाप्त हो जाएगी।
उन्नति पांडे बीकॉम अंतिम वर्ष में बताया हमें समानता का अधिकार प्राप्त है। स्कूल में यूनिफार्म इसलिए रखा जाता है कि किसी के साथ भेदभाव ना हो कलेक्टर के बेटे से लेकर चपरासी का बेटा भी एक ही ड्रेस पहनता है जो समानता का प्रतीक है। धर्म को शिक्षा के क्षेत्र में नहीं लाना चाहिए लीडरशिप के लिए लोग इसे भड़का रहे हैं, देश की एकता को भंग करने के लिए यह सोची समझी साजिश है।
बी ए द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी तुषार ने बताया घर हमारी पहचान हमारी जाति से ना होकर राष्ट्रीयता से हो तो जातिगत भेदभाव अपने आप समाप्त हो जाएगा।
बी.एड. चतुर्थ सेमेस्टर की विद्यार्थी आकांक्षा ने बताया समाज में अभी भी जातिगत भेदभाव है और हम शिक्षा के प्रचार के द्वारा ही इसे दूर कर सकते हैं।
आयुष नोनहरेs बीबीए चतुर्थ सेमेस्टर ने कहा पहले की तुलना में अब जातिवाद कम हो गया है शिक्षा में जातिगत भेदभाव दिखलाई नहीं पड़ता है किन्तु सामाजिक कार्यक्रमों में आज भी जाति आधार पर भेदभाव होते है। डिलेश्वर एम.एड. चतुर्थ सेमेस्टर ने कहा शिक्षा जरूरी है शिक्षा से ही सांप्रदायिकता की भावना दूर होती है धर्म को शिक्षा से जोड़ना गलत है।
डॉ मंजू कनौजिया सहायक प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने कहा हम शिक्षित है हमें सभी धर्मों को एक साथ लेकर चलना चाहिए सब त्यौहार मिलकर मनाते हैं फिर जातिगत भेदभाव की बात क्यों आती है।
एम.एड. चतुर्थ सेमेस्टर विद्यार्थी श्वेता पढ़या ने बताया भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 सबको समानता का अधिकारी देता है संविधान जाति धर्म लिंग रंग के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करता इसलिये हमें भी जाति आधार पर भेदभाव को समाप्त करना चाहिये।
दीक्षा बीएससी अंतिम वर्ष ने बताया जातिगत भेदभाव के कारण हमारे हृदय एक-दूसरे से जुड़ नहीं पाते हैं आज भी छोटी जाति के लोगों से कोई बात नहीं करना चाहता।
श्रीमती सुनीता शर्मा विभागाध्यक्ष जंतु विज्ञान ने बताया आज भी हमारी राष्ट्रीय एकता कायम है राजनीतिक पार्टी हमें धर्म और जाति के नाम पर लड़ाने का प्रयास कर रही है। हम अपने आस-पड़ोस में नहीं देखते हैं कि कौन, कौन सी जाति का है हम मिलजुल कर रहते हैं। कार्यक्रम में मंच संचालन एवं धन्यवाद डॉ रजनी मुदलियार संयोजक जातिगत भेदभाव निवारण समिति ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ मिथिलेश सहायक प्राध्यापक केमिस्ट्री एवं सहायक अध्यापक गणित ने विशेष योगदान दिया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से यही निष्कर्ष निकला भारत में जातिगत भेदभाव पहले की तुलना में कम हुआ है परंतु मीडिया और राजनीतिक पार्टियों के स्वार्थ के कारण जातिगत भेदभाव काफी बढा है हम इसे शिक्षा के द्वारा ही दूर कर सकते हैं। हमें भारतीय संविधान ने समानता का अधिकारी दिया है और इस अधिकारी का प्रयोग करते हुए हम राष्ट्रीय एकता को मजबूत बना सकते हैं।

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