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नृत्य को जानना और समझना एक बड़ी योग्यता : डॉ माण्डवी सिंह

Feb 14, 2022
Dance Workshop at Girls College Durg

दुर्ग। शासकीय डॉ वावा पाटणकर कन्या महाविद्यालय, दुर्ग के नृत्य विभाग द्वारा ऑनलाईन नृत्यांजलि – वैल्यू एडेड कोर्स का आज सत्र समापन हुआ है। दिनांक 27 जनवरी से आयोजित यह कोर्स 15 दिनों तक चला। सत्र के समापन समारोह की मुख्य अतिथि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ मांडवी सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा – नृत्य को सीखना और जानना यह मेरी सबसे बड़ी योग्यता है। हम संगीत और नृत्य को सीखें और करें, क्योंकि नृत्य बहुत गहरा और बारीक है। जिसे जानना और समझना जरूरी है।

नृत्य आध्यात्म से जुड़ा है जिसमें रस और आनंद है। उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व बनता है कि हमंे नृत्य और संगीत की शिक्षा को साधना के रूप में विकसित करने में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को आव्हान करते हुए कहा कि नृत्य जीवन का एक अंग है। यह सम्मान की चीज है। इसके लिए सतत् साधना की आवश्यकता होती है। जितना समर्पण होगा, उतना ही अधिक हम नृत्य को जान सकेंगे।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि इस नृत्यांजलि सर्टिफिकेट कोर्स में छात्राओं में बड़ा उत्साह था। विशेष तौर पर इसे उन छात्राओं के लिये इसका आयोजन किया गया, जो दूसरे संकाय में अध्ययनरत हैं, किन्तु महाविद्यालय में कला संकाय के अंतर्गत नृत्य विषय लेकर पढ़ती छात्राओं को देखकर भरतनाट्यम सीखने की इच्छा रखती हैं। इन छात्राओं को भरतनाट्यम का आरंभिक ज्ञान कराया गया। इस सत्र में 70 छात्राओं ने प्रवेश लिया।
विभागाध्यक्ष डॉ ऋचा ठाकुर ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस कोर्स को प्रायोगिक एवं सैद्धांतिक दो हिस्सों में बांटा गया था। इन नवोत्साही छात्राओं को नृत्य के प्रायोगिक ज्ञान सहित नृत्य से संबंधित आवश्यक विषयों की जानकारी दी गई, जिसके लिए प्रदेश के विभिन्न नृत्य गुरूओं और कलाकारों का व्याख्यान आयोजित किया गया।
इन विशेषज्ञों में डॉ जी रतीश बाबू (निर्देशक-नृत्यति कलाक्षेत्रम, भिलाई) ने प्रथम दिन उपस्थित होकर नृत्य के महत्व को बताया और आरंभिक ज्ञान का परिचय देते हुए नृत्यांजलि की शुरूवात की। डॉ शेख मेदिनी होम्बल, सहायक प्राध्यापक- भरतनाट्यम, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ ने कैरियर इन डांस पर अपना व्यक्तव्य दिया और छात्राओं को नृत्य के क्षेत्र में कैरियर बनाने की टीप्स दिये। उन्होंने बताया कि नृत्य कलाकार के अतिरिक्त वे मीडिया, कोरियोग्राफर, नृत्य, वेशभूषा, मेकअप, पत्रकारिता, शोध आदि कार्य कर सकती है।
कमला देवी संगीत महाविद्यालय, रायपुर की कत्थक की व्याख्याता डॉ आरती सिंह ने नृत्य की इतिहास एवं पुरूष नर्तकों के उपादान पर व्याख्यान दिया। प्राध्यापक डॉ नीता गहरवार ने नृत्य के शारीरिक लाभ पर कहा कि किसी भी तरह की थिरकन हमारे शरीर के लिए लाभदायक हैं। डांस मूवमेंट थेरेपी अब चलन में हैं। युवा कलाकार खुशी जैन (सांई कला केन्द्र) ने अडवु एवं रस-भेद का मनोहारी वर्णन किया। उन्होंने कहा नर्तक और दर्शक दोनों को ही रस की अनुभूति होती है।
प्रसिद्ध मनोविज्ञानी चिकित्सक डॉ शमा हमदानी ने नृत्य को मानसिक, मनोवैज्ञानिक लाभ पर व्याख्यान देते हुए कहा कि नृत्य से शरीर में हैप्पी हार्मोंस विकसित होते हैं, सकारात्मकता आती है। गृहविज्ञान के सहायक प्राध्यापक डॉ भारती सेठी ने बताया कि नृत्य कलाकार के लिए पोषक तत्व युक्त भोजन पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा चूंकि नृत्य अति परिश्रम की श्रेणी में आता है। इसलिए नर्तक संतुलित और पोषण आहार लेना चाहिए।
शासकीय दुग्धाधारी बजरंग कन्या महाविद्यालय, रायपुर की सहायक प्राध्यापक डॉ स्वप्निल कर्महे ने आधुनिक काल में नृत्य की स्थिति को बताते हुए कहा कि अब नृत्य रियलिटी शो, डिजिटल हो चुका है। इन आवश्यक सैद्धांतिक पक्षों के साथ छात्राओं ने प्रतिदिन प्रायोगिक कार्य में भूमि प्रणाम, आरंभिक अवडु, तत अवडु, नाट्टअवडु, शिवस्तुति, शिरोभेद, दृष्टिभेद, ग्रीवाभेद, असंयुक्त, संयुक्त हस्तभेद का अभ्यास किया। नेहा साहू ने बतायाकि नृत्य के इस आरंभिक ज्ञान से आगे में सीखने की ईच्छा रहेगी। फातिमा रिजवी ने कहा कि महाविद्यालय में आकर वो नृत्य विभाग में आकर आगे भी नृत्य सिखती रहेगी। डॉ अल्पना त्रिपाठी ने कहा कि सीखे गये आरंभिक ज्ञान से शारीरिक व्यायाम की प्रतिपूर्ति हो जाती है। छात्राओं ने सीखे गये नृत्य का वीडियो बनाकर प्रस्तुत किया।

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