भिलाई। आईसीएआई सीआईआरसी की भिलाई शाखा में महिला दिवस मनाया गया. इस अवसर पर उद्योग एवं वाणिज्य सचिव आर. शंगीता आईएएस तथा बीएसपी की जीएम एसएमएस पुष्पा एम्ब्रोस ने अपने संघर्ष को साझा किया। काउंसलर डॉ सिमी श्रीवास्तव ने इस अवसर पर बच्चों, विशेषकर स्पेशल चाइल्ड की परवरिश पर लोगों का मार्गदर्शन किया। साथ ही स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल की नर्सिंग सिस्टर इंचार्ज सपना सिस्टर एवं एऩजीओ संचालक गीता बिस्वाल का भी सम्मान किया गया.उद्योग सचिव आर. शंगीता ने बताया कि कलेक्टर बनने का उनका सफर कठिन संघर्षों का रहा है. जिस गांव से वे आती हैं वहां किशोरावस्था में ही लड़कियों का ब्याह परिवार में ही करा दिया जाता है. पढ़ने के लिए गांव छोड़ा, शहर बदले तो गांव में लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि वह किसी के साथ भाग गई है. विवाह के बाद बच्चे होने में वक्त लगा तो लोगों ने फिर ताने दिये. इधर शहर में नौकरी करते हुए पढ़ाई जारी रखना था. दिन में 70-75 किलोमीटर दुपहिया चलाने के बाद रात को पढ़ती थीं. अपनी पहली कमाई से एनसीईआरटी की पुस्तकें खरीदा. वैकल्पिक विषय की तैयारी के लिए वकालत की पढ़ाई की.
श्रीमती शंगीता ने बताया कि तीन बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी और अंततः आईएएस बनकर गांव लौटी. जो लोग ताने देते थे, वही गाजे बाजे के साथ स्वागत करने पहुंचे. कलेक्टर बनने के बाद भी पुरुषों के बीच लीडर बनकर काम करने की चुनौतियां थीं. पर उन्होंने धैर्य के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना जारी रखा और आज सचिव के पद पर काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, छोटी छोटी जरूरतों के लिए तरसना पड़ता है पर मंजिल मिलकर रहती है. उन्होंने महिला सुरक्षा के लिए सबसे पहले बच्चों की परवरिश को वक्त देने की सलाह भी लोगों को दी.
बीएसपी के कोक ओवन्स से अपना कर्मजीवन शुरू करने वाली पुष्पा एम्ब्रोस आज एसएमएस की जीएम हैं. उन्होंने कोकओवन्स को धूल-धुआं मुक्त कराने में महति योगदान दिया है. उन्होंने कभी महिला होने का लाभ नहीं लिया. रात बेरात जब भी जरूरत पड़ी, प्लांट में अपने सहकर्मियों की टीम के साथ भिड़ी रहीं. उन्होंने बताया कि 2018 का अग्निकांड उनके जीवन का एक दुखद प्रसंग है जिसे याद कर वे आज भी भावुक हो जाती हैं. इस घटना के बाद उन्होंने महसूस किया कि इस्पात कार्मिक अकेले नहीं बल्कि उसका पूरा परिवार इससे प्रभावित होता है.
काउंसलर डॉ सिमी श्रीवास्तव ने पैरेन्टिंग पर केन्द्रित अपने उद्बोधन में कहा कि तकनीकी ने कोरोनाकाल में उनका काम आसान कर दिया. विशेष बच्चों की बीच ढाई दशकों से काम कर रही डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि इन बच्चों की सही देखभाल के लिए उनके माता-पिता प्रशिक्षित नहीं थे. स्कूल बंद थे और 24 घंटे पूरा परिवार साथ साथ था. ऐसे समय में आभासी कक्षाओं के द्वारा ही वे माता-पिता का मार्गदर्शन करने में सफल हुईं. इन विशेष बच्चों की देखभाल में उनके पिता ने भी गहरी रुचि ली जो एक सुखद अनुभव रहा है.
इस अवसर पर स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल की सिस्टर इंचार्ज सपना सिस्टर का सम्मान किया गया. सपना सिस्टर ने कोविड के दौरान 45 दिन तक लगातार अस्पताल में रहकर अपनी ड्यूटी निभाई थी. अस्पताल के ही एक बेड को उन्होंने अपना घर बना लिया था और दिन रात रोगियों की सेवा करती रही थीं. इसके साथ ही सेवा के लिए एनजीओ का संचालन करने वाली गीता बिस्वाल का भी सम्मान किया गया.
सीआईआरसी की भिलाई शाखा के चेयरमैन सीए प्रदीप पाल एवं सचिव सीए सूरज सोनी के मार्गदर्शन में यह आयोजन वाइस चेयरमैन सीए पायल जैन, विमेन एम्पावरमेंट कमेटी की चेयरमैन सीए रूपम सोनछत्र की अगुवाई में किया गया. संचालन सीए आंचल गोयल ने किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में सीए उपस्थित थे.