भिलाई। दुनियाभर में लुप्त हो रही वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग के द्वारा वन्यजीवों की सुरक्षा और लुप्तप्राय वनस्पतियों के प्रति लोगों को जागरूक करने पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विश्व वन्यजीव दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में वन्यजीवों की सुरक्षा और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है इस बात को समझना होगा कि पृथ्वी पर जैव विविधता को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी है कि हम धरती के पर्यावरण संबंधित स्थिति के तालमेल को बनाए रखें और इसके लिए वातावरण में पेड़-पौधों के साथ साथ वन्यजीव का होना भी जरूरी है
जैव विविधता की समृद्धि ही धरती को रहने व जीवनयापन के योग्य बनाती है लेकिन समस्या यह है कि लगातार बढ़ता प्रदूषण वातावरण पर इतना खतरनाक प्रभाव डाल रहा है कि जीव.जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां धीरे.धीरे लुप्त होती जा रही हैं भारत में इस समय 900 से भी ज्यादा दुर्लभ प्रजातियां खतरे में बताई जा रही हैं यही नहीं विश्व धरोहर को गंवाने वाले देशों की लिस्ट में दुनियाभर में भारत का चीन के बाद 7वां स्थान है
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वर्तमान दौर में जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण का बहुत अधिक असर हुआ है तटीय प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं और उनका अत्यधिक दोहन किया जा रहा है एक तिहाई वाणिज्यिक मत्स्य भंडार इसीलिए समाप्त हो गया है क्योंकि मछलियों को लगातार पकड़ा जाता है दूसरी ओर अन्य कई प्रजातियोंए बड़े समुद्री पक्षियों से लेकर कछुओं तक परए महासागरीय संसाधनों के गैर सतत उपयोगके वजह से संकट मंडरा रहा है विश्व वन्यजीव दिवस के द्वारा हम सभी पृथ्वी वासी, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में उपस्थित सभी प्रकार के जीव तथा वनस्पति प्रजातियों के होने का उत्सव मनाते हैं।
महाविद्यालय के अति. निदेशक एवं प्राचार्य डॉ जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि विश्व वन्यजीव दिवस के दिन सभी प्रजातियों का विश्व की जैव.विविधता में अति महत्वपूर्ण योगदान है आज समय की मांग है कि पारिस्थकी संतुलन का सभी पालन करते हुए संयमित व्वयवहार करें। वन्यजीवों की अनुपस्थिति में पृथ्वी का पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ सकता है।