खपरी, दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक जेवरा के प्रबंधक राजेश कुमार राडके ने विद्यार्थियों को क्रेडिट कार्ड और प्रायवेट कंपनियों के पर्सनल लोन के झांसे से बचने की सलाह दी है। इनकी ब्याज दर तो ऊंची है ही, साथ ही इन खातों का पैसा चुकाने में मामूली चूक भी भारी पड़ सकती है। इन खातों का ब्याज इतना ज्यादा होता है कि वह मूलधन के करीब पहुंच जाता है। श्री राडके देव संस्कृति महाविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
देव संस्कृति कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में बीकॉम अंतिम वर्ष के विद्यार्थी ग्रामीण बैंकों के संचालन की विशिष्टताओं से परिचित होने के लिए शैक्षिक भ्रमण पर जेवरा स्थित बैंक पहुंचे थे। श्री राडके ने बताया कि ग्रामीण बैंकों की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1976 में की गई थी। उस समय एक पाइलट प्रोजेक्ट के तहत दो-दो जिलों को मिलाकर एक-एक ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई थी। यहां दुर्ग राजनांदगांव ग्रामीण बैंक खोला गया था। 2013 में सभी जिलों में ग्रामीण बैंकों की स्वतंत्र रूप से स्थापना हुई।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण बैंक एवं राष्ट्रीयकृत कमर्शियल बैंकों के संचालन में ज्यादा अंतर नहीं होता। बड़े बैंक बड़ा लोन देते हैं, ग्रामीण बैंक छोटे लोन देता है। बचत खातों पर ब्याज सभी बैंकों का समान है। कर्ज पर ब्याज की दरों में मामूली अंतर हो सकता है। ग्रामीण बैंक का उद्देश्य छोटे निवेशकों और छोटे ऋण ग्राहकों को सुविधा प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण बैंक भी क्लीयरिंग हाउस मेम्बर होते हैं पर केन्द्रीयकृत चुकारे के कारण थोड़ा वक्त लग जाता है। उन्होंने बताया कि आरंभिक दौर में तीन राष्ट्रीयकृत बैंक ग्रामीण बैंकों के लिए लीड बैंक का काम करती थीं पर अब सभी ग्रामीण बैंक भारतीय स्टेट बैंक से जुड़े हुए हैं।
भ्रमण के इस कार्यक्रम में वाणिज्य संकाय की सहा. प्राध्यापक आफरीन शेख, दीपक रंजन दास तथा फाइनल ईयर के स्टूडेंट ज्योति साहू, स्वाती शुक्ला, खुशबू साहू, दीपिका मंडावी तथा अंजू यादव शामिल हुए।