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हर साल सामने आते हैं सर्वाइकल स्पांडिलोसिस के एक करोड़ मामले

May 10, 2022
Cervical spondylosis on the rise

भिलाई। सर्वाइकल स्पांडिलोसिस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अकेले भारत में प्रतिवर्ष इसके एक करोड़ से भी अधिक मामले अस्पतालों तक पहुंचते हैं। कभी-कभी गलत सिरहाना लेकर सोने से गर्दन अकड़ जाती है। यह कुछ समय में अपने आप ठीक भी हो जाती है। पर यदि दर्द लगातार बना रहे तो गर्दन को हिलाना न केवल मुश्किल बल्कि कभी असंभव हो जाता है। यदि दर्द किसी नस के दबने की वजह से हो रहा है तो आगे चलकर ये कई जटिलताएं खड़ी कर सकता है। इसके कारण बाजुओं या पैरों का सुन्न होना, चक्कर आना, शरीर का संतुलन बिगड़ना या फिर शरीर के निचले हिस्से में लकवा मारने की शिकायत भी हो सकती है।
हाइटेक के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ राहुल ठाकुर के अनुसार, गर्दन की हड्डी शरीर की उन हड्डियों में शामिल है, जिनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। यह पूरे सिर के वजन को संभालती है। गर्दन बाकी रीढ़ की हड्डी की तुलना में कमजोर होती है, इसलिए भी इसकी विशेष देखभाल जरूरी है।
गर्दन दर्द का सबसे सामान्य कारण गलत तकिया है। गर्दन रात भर खिंची रह जाती है और दर्द होने लगता है। मोबाइल को कान और गर्दन के बीच फंसाकर बात करने वालों को भी गर्दन का दर्द हो सकता है। घर या दफ्तर में एक ही मुद्रा में बैठकर कम्प्यूटर या डेस्क वर्क करना, आड़ा टेढ़ा लेटकर टीवी या मोबाइल देखने भी इसका कारण बन सकता है।
पहचानें इन लक्षणों को
1. गर्दन में दर्द होना, गर्दन अकड़ जाना और हिलाने-डुलाने में परेशानी होना
2. हाथ-पैर और पंजों में झुनझुनी, सुन्न महसूस होना या उसमें कमजोरी लगना
3. सिर के पिछले भाग और कंधों में दर्द, मांसपेशियों में एंठन
4. शरीर में असंतुलन और चलने में दिक्कत
अगर सर्वाइकल पेन सामान्य और मामूली है तो लाइफस्टाल में बदलाव कर इसे सही किया जा सकता है। सीटी स्कैन, एक्स रे और एमआरआई से इसकी समस्या और गंभीरता का पता लगाया सकता है और उस हिसाब से इलाज किया जा सकता है।
बरतें ये सावधानियां
बैठने, उठने, चलने से लेकर कम्प्यूटर पर काम करने का पॉश्चर यानी बैठने का तरीका सही होना चाहिए। कम्प्यूटर पर लंबे समय तक करने वालों को डेढ़-दो घंटे में एक शार्ट ब्रेक जरूर लें। मोबाइल को कान और कंधे के बीच फंसाकर ज्यादा बात न करें। सामने की तरफ भी गर्दन झुका कर मोबाइल, कम्प्यूटर या टीवी देखने की बजाए इन डिवाइसेस को ऐसे लोकेट करें कि गर्दन सीधी रहे। नियमित रूप से व्यायाम करें जिसमें गर्दन की कसरतें भी शामिल हों। सिरहाना उतना ही ऊंचा और सख्त हो जो आरामदायक लगे। 45-50 की उम्र के बाद चिकित्सक की सलाह से कैल्शियम और विटामिन डी सप्लिमेंट ले सकते हैं।

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