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कैडवेरिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट का बना प्रस्ताव, आयुष्मान से भी होगा

Jul 16, 2022
Chhattisgarh ready for Cadeveric Transplant

रायपुर। राज्य में अब ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन का उपयोग ट्रांसप्लांट के लिए किया जा सकेगा। पांच साल की कड़ी मशक्कत के बाद इसका प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए शासन को भेज दिया गया है। ट्रांसप्लांट की सर्जरी में आयुष्मान योजना के तहत सहायता भी दी जाएगी। साथ ही सर्जरी के बाद एक साल तक की दवा मुफ्त दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है। यह सुविधा चुनिंदा सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी क्षेत्र में उपलब्ध हो जाएगी। डीकेएस के थर्ड फ्लोर में ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन का ऑफिस खुल चुका है जहां राजधानी के तीन बड़े अस्पतालों ने अर्जी दे दी है।
ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन जैसे लीवर, किडनी और हार्ट ट्रांसप्लांट की एसओपी तैयार कर ली गई है। प्रस्ताव को सरकार की हरी झंडी मिलते ही राज्य में कैडवरिक ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा। सरकारी डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट कू पूरी सुविधा उपलब्ध है। हार्ट ट्रांसप्लांट के मरीजों को अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा।
सरकारी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट फ्री होगा। आयुष्मान और डॉ खूबचंद बघेल योजना के तहत ट्रांसप्लांट के लिए 6 लाख रुपए तक की सहायता मिलेगी। ट्रांसप्लांट के बाद एक साल तक की दवा भी दी जाएगी। निजी क्षेत्र में लिवर ट्रांसप्लांट पर 18-20 लाख रुपए और किडनी ट्रांसप्लांट मं 8-10 लाख रुपए तक का खर्च आता है।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए मरीज व अस्पताल के रजिस्ट्रेशन से लेकर सर्जरी तक पूरा सिस्टम कैसे काम करेगा? इसकी एसओपी यानी गाइड लाइन की मंजूरी के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय में प्रस्तुत कर दी गई है। इस महीने के अंत या अगले महीने मंजूरी मिल जाने की उम्मीद जताई जा रही है। उसके बाद प्राइवेट अस्पतालों के साथ सरकारी में भी ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएंगे।
डेकेएस हॉस्पिटल रायपुर में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए यूरोलॉजिस्ट डॉ सुरेश सिंह और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ राजेश अग्रवाल की टीम है। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डॉ अभिजीत मिश्रा और डॉ गौरव जोशी की पोस्टिंग हो चुकी है।
आर्गन ट्रांसप्लांट के इच्छुक अस्पतालों को पंजीयन कराना होगा। आर्गन निकालकर सुरक्षित रखने के लिए अलग से पंजीयन कराना होगा। ट्रांसप्लांट के इच्छुक मरीजों का भी रजिस्ट्रेशन होगा जिन्हें वेटिंग लिस्ट, रोगी की उम्र और स्थिति के अनुसार प्राथमिकता तय होगी। आर्गन को अस्पताल तक ग्रीन कॉरीडोर बनाकर भेजा जाएगा पर ले जाने की जिम्मेदारी ट्रांसप्लांट करने वाले अस्पताल की होगी।

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