दुर्ग। शासकीय डाॅ वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा “हर घर तिरंगा, घर-घर तिरंगा” का आयोजन किया गया। प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। यह आजादी हमें कठिन संघर्षी एवं शहीदों की कुर्बानियों से प्राप्त हुई है। तिरंगा देश भक्ति का प्रतीक है वह आन-बान-शान का प्रतीक है। हमें इस का सम्मान करना चाहिए, इस तिरंगे की रक्षा करनी चाहिए।
“नृत्य विभाग की अध्यक्ष डाॅ. ऋचा ठाकुर ने तिरंगे के इतिहास के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि पिंगलि वैंकैया द्वारा कल्पित यह तिरंगा 22 जुलाई 1947 को अंगीकृत किया गया उन्होंने तिरंगे की डिजाईन में हुए परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए सिस्टर निवेदिता, रचीन्द्र कुमार बोस एवं भीकाजी कामा द्वारा बनाए गए झंडे की आकृतियों में परिवर्तन की जानकारी दी।
हिन्दी विभाग की ज्योति भरणे ने तिरंगे के तीनों रंगों का महत्व बताते हुए कहा कि केसरिया रंग ऊर्जा एवं शक्ति की प्रतीक है, सफेद रंग शांति का प्रतीक है और हरा रंग समृद्धि तथा अशोक चक्र निरन्तर कर्म करने का प्रतीक है। अतः हम सबको तिरंगे के तीनों रंगों से प्रेरणा लेते हुए देशहित में सदैव कार्य करना चाहिए।
इस अवसर पर रिया बारले, पूजा चेलक, लक्ष्मी साहू, ढालेश्वरी, खुशबू हरमुख ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का संचालन हर्षिता साहू ने व आभार प्रदर्शन डाॅ. यशेश्वरी ध्रुव ने किया। राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. सुचित्रा खोब्रागड़े, सलाहकार समिति के सदस्य डाॅ. मोनिया राकेश सिंग, डाॅ. मुक्ता बाखला एवं विमल यादव तथा रासेयो की छात्राएँ उपस्थित रही।