भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में हिंदी विभाग द्वारा तुलसी जयंती के अवसर पर ई प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ऑनलाइन आयोजित प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में 281 विद्यार्थियों ने भाग लिया। जिसे मेल के माध्यम से ई प्रमाण पत्र दिया गया। 281 विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र मिलना यह दर्शाता है हमारी संस्कृति सुरक्षित हाथों में है क्योंकि 60 से अधिक प्रतिशत पाने वाले विद्यार्थियों को ही प्रमाण दिया गया। प्रतिभागियों की विपुल संख्या दर्शाती है सोशल मीडिया के प्रभाव से अभी थी तुलसी साहित्य अछूता है लोगों का अपने धर्म के प्रति, अपने ईश्वर के प्रति आस्था है तथा वे अपनी सांस्कृतिक मूल्यों व विभिन्न विचारधाराओं से परिचित हैं। तुलसीदास हिन्दू धर्म के रक्षक तथा उद्धारक थे, उन्होंने जनता के सामने मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श रखे हैं कि किस प्रकार राम एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श पति तथा एक आदर्श राजा के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करते हैं आज जब भाई और भाई आपस में संपत्ति के लिए लड़ रहे हैं वह राज नेता पद के पीछे तब आज हमें पुनः राम जैसे आदर्श राजा की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम प्रभारी डॉ सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी ने कहा व्यस्ततम जीवन एवं भोगवादी जीवन पद्धति के कारण मानव भाव शून्य होते जा रहा है। भारतीय संस्कृति में निहित जीवनमूल्यों से परिचय कराने का सबसे अच्छा माध्यम गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस ही है। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म की उदारता, व्यापकता तथा सहिष्णुता व दया, परोपकार, अहिंसा आदि पर बल दिया तथा अभिमान, हिंसा, पर पीड़ा आदि दुर्गुणों की निंदा की, हिन्दुओं की मूर्ति पूजा पर आस्था बनाए रखी, उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की भक्ति का आदर्श रखा।
महाविद्यालय के मुख्यकार्यकारिणी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने समस्त विद्यार्थियों को तुलसीजयंती की बधाई दी व कहा तुलसीदास एक समन्वयकारी संत थे। इसी कारण उन्हें लोकनायक कहा गया हैं। तुलसीदास ने शिव तथा वैष्णव सम्प्रदायों में समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया, उन्होंने सगुण तथा निर्गुण विचारधारा में भी समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया।
प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कार्यक्रम आयोजन के लिए हिंदी विभाग की सराहना की व कहा हर घर में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचितरामचरित मानस की एक प्रति अवश्य ही मिलेगी। यह लोगों का कंठहार बना हुआ है कारण उसकी सरलता सहजता के साथ-साथ उसमें निहित आदर्श व गोस्वामी तुलसीदास की समन्वयकवादी भावना भी है।
विद्यार्थियों से रामचरित मानस तुलसी की रचनाएं उनके व्यक्तित्व से संबंधित प्रश्न पूछे गए 30 प्रश्न दिए गए 15 मिनट का समय दिया गया था। जो इस प्रकार है, शिव द्रोही मम दास कहा ‘‘वा सोइ नर मोहि सपनेहु नहिं भावा’’ में तुलसी की कौन सी प्रकृति झलकती है।
रामचरित मानस में जो सभा आयोजित की गई उसका वर्णन रामचरित मानसके किस कांड में है।
सुरतिय नरतीय नागतिय, सब चाहती अस होय यह पंक्ति तुलसीदास ने किसकों लिखी थी।
तुलसी का काव्य प्रयोजन क्या है, रामचरितमानस की रचना कितने समय में हुई, विनय पत्रिका किस भाषा में लिखी गई है, जटायु के भाई का क्यानामथा, राम के रूपनिहारतीजानकीकंकण के नग की पर छाई यह पंक्ति किस ग्रंथ से ली गई है, राम राज्य के रूप में आदर्श शासन व्यवस्था का प्रारूप तुलसीदास के किस ग्रंथ में मिलता है, तुलसीदास जी के गुरु का नाम क्या था, श्मातु पिता जगताई तज्यों, विधि ही न लिख्यो कुछ भाल.भलाईश् गोस्वामी तुलसीदास के किस ग्रन्थ की पंक्ति है ।
कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग स.प्रा. श्रीमति टी बबीता विभागाध्यक्ष भौतिकी ने दिया।