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आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या 25 फीसदी बढ़ी – डॉ सुरप्रीत

Sep 10, 2022
Suidice Prevention Day MJ College

इस तरह करें अवसादग्रस्त दोस्तों की मदद – डॉ हमदानी

भिलाई। भारत में प्रतिदिन औसतन 28 युवा आत्महत्या कर लेते हैं. 2019 से अब तक इस संख्या में 25 फीसदी तक की वृद्धि हुई है. भारत में ऐसे मामले दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़े हैं. इसका प्रमुख कारण है. स्ट्रेस आपके दिल का दुश्मन है और इसे दूर करने के तमाम आसान उपाय आपको दिल को और भी ज्यादा बीमार बना देते हैं. उक्त बातें सीटीवीएस सर्जन डॉ सुरप्रीत चोपड़ा ने आज कहीं. वे “सुइसाइड प्रिवेंशन डे” पर एमजे कालेज में आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रही थीं.
डॉ सुरप्रीत ने कहा कि आईआईटी और अन्य प्रबंधन संस्थानों में आत्महत्या करने वालों की संख्या ज्यादा है. इसका एक बड़ा कारण घर के सुरक्षात्मक माहौल से निलकर होस्टल के आत्मनिर्भर जीवन की मजबूरी होती है. आपको अपना सारा काम खुद करना पड़ता है और आप उसे मैनेज नहीं कर पाते. आप पढ़ाई में पिछड़ने लगते हैं, भोजन, स्वास्थ्य और टाइम को मैनेज नहीं कर पाते. इन सबका असर आपके दिल पर पड़ता है. तनाव से बचने के लिए कुछ युवा नशा करने लगते हैं, ड्रग्स करने लगते हैं. इससे धमनियों में ब्लाकेज का खतरा बढ़ जाता है, धमनियों में सूजन आ जाती है और वे फट सकती हैं. इससे व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो सकती है.
सोशल मीडिया से बिगड़ रहे मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसपर लाइक हासिल करना हमें तात्कालिक सुख देता है. यह ब्रेन में होने वाले डोपामीन के स्राव के कारण होता है. ड्रग्स भी इसी हार्मोन के स्राव के कारण आनंद देते हैं. हमें डोपामीन की लत लग सकती है. तेज गाड़ी चलाने, खतरनाक स्टंट करने और सोशल मीडिया पर हंगामा खड़ा करने से यही हार्मोन हमें खुशी देता है. उन्होंने चेतावनी दी कि इन खतरों के आगे कोई जीत नहीं बल्कि मौत खड़ी होती है.
स्ट्रेस से बचने के आसान उपायों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब भी जीवन में कोई कठिनाई हो तो अपने दोस्तों से, अपनी टीचर्स से अपने पेरेंट्स से बात कीजिए. जब गणित का कोई सवाल हल नहीं हो पाता तब भी हम ऐसा ही करते हैं. हर समस्या का समाधान होता है, थोड़ी सी कोशिश करनी पड़ती है.
एमजे ग्रुप ऑफ एजुकेशन की डायरेक्टर डॉ श्रीलेखा विरुलकर की प्रेरणा एवं प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे के मार्गदर्शन में इस समारोह का आयोजन आतंरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ आईक्यूएसी द्वारा किया गया था. समारोह के दूसरे सत्र को मनोविज्ञानी डॉ शमा हमदानी ने संबोधित किया.


डॉ शमा हमदानी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने तनाव में होने के संकेत देता है. इन्हें पहचान कर उसकी समय रहते मदद की जा सकती है. उन्होंने विस्तार से इन संकेतों की चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह इन्हें पहचाना जा सकता है और समय रहते हस्तक्षेप कर लोगों की मदद की जा सकती है. कुछ मामलों में जहां दोस्तों की समझाइश काफी होती है वहीं कुछ मामले ऐसे होते हैं जिसमें माता-पिता की बड़ी भूमिका हो जाती है. स्ट्रेस को कम करने के लिए मनोविज्ञानी की भी मदद ली जा सकती है. उन्होंने विस्तार से इसके सभी पहलुओं की चर्चा की.
आत्महत्या के कारणों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा में असफलता, कार्यक्षेत्र की परेशानी, आर्थिक नुकसान, असाध्य शारीरिक व्याधि, एकतरफा प्रेम, आदि इसके कारण हो सकते हैं. इन सभी स्थितियों में व्यक्ति तनाव का शिकार हो जाता है. वह स्थिति को असंभव मान बैठता है और निराश होकर मौत को गले लगाने का फैसला कर लेता है. पर यह किसी समस्या का हल नहीं हो सकता. इनमें से अधिकांश समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और 90 फीसदी तक आत्महत्या के मामलों को रोका जा सकता है.
इस अवसर पर “रंगमंच” क्लब के नए सदस्यों के लिए इंडक्शन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. रंगकर्मी पुरुषोत्तम टावरी इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे. उन्होंने इस अवसर पर महाविद्यालय के दस शिक्षकों का सम्मान भी किया. कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग के सहायक प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने किया.
इस अवसर पर एमजे कालेज ऑफ़ नर्सिंग के प्राचार्य डैनियल तमिल सेलवन, फार्मेसी कालेज के प्राचार्य डॉ विजेन्द्र सूर्यवंशी, आईक्यूएसी प्रभारी डॉ श्वेता भाटिया, कम्प्यूटर साइंस की एचओडी पीएम अवंतिका, गणित संकाय की एचओडी रजनी कुमारी, बायोटेक की एचओडी सलोनी बासु, रसायन शास्त्र विभाग की एचओडी प्रीति देवांगन, सहा. प्राध्यापक कृतिका गीते, अलका साहू, ममता एस राहुल, नेहा महाजन, शकुंतला जलकारे, अर्चना त्रिपाठी, स्नेहा चंद्राकर, सहित सभी सहायक प्राध्यापक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

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