पहले ही साफ कर दें कि “नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है” एक कहावत मात्र है. इसका मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है. यह ठीक वैसा ही है जैसे जिले का नया पुलिस कप्तान हड़कम्प मचा देता है. नया-नया पद पाया हुआ आदमी ज्यादा इतराता है. नया नया रईस बना आदमी खूब दिखावा करता है. छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐन यही बात हिमंत बिस्वा के लिए कही है. उन्होंने कहा कि हिमंत नया-नया मुल्ला बने हैं, इसलिए ज्यादा प्याज खा रहे हैं. दरअसल, बिस्वा कांग्रेस छोड़कर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं. बिस्वा ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा था कि उन्हें यह यात्रा पाकिस्तान से शुरू करनी चाहिए थी. भूपेश कहां चूकने वाले थे. उन्होंने पलटवार किया कि हिमंत जरूर संघ कार्यालय गए थे. वहीं पर अखण्ड भारत का आजादी से पहले का नक्शा लगा होता है. इसमें पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश सब भारत के नक्शे में शामिल है. हिमंत ने नक्शा देखा होगा तो उन्हें लगा होगा कि भारत जोड़ो यात्रा पाकिस्तान से शुरू करना चाहिए. 25 सितम्बर, 1990 को भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए सोमनाथ से रथ यात्रा निकाली थी. हिमंत तब मुख्यमंत्री बने होते, तो शायद कहते कि रथयात्रा हिंगलाज शक्तिपीठ से निकाली जानी चाहिए. आखिर यह माता का शक्तिपीठ है. अब भले ही वह बलूचिस्तान में है तो क्या हुआ, संघ के नक्शे में तो यह अखंड भारत का ही हिस्सा है. वैसे आडवाणी भी पदयात्रा ही करना चाहते थे. पर प्रमोद महाजन ने रथ यात्रा का आइडिया दिया. इसके बाद भाजपा 85 से बढ़कर 120 सीटों वाली पार्टी बन गई थी. गोधरा में इसका दूसरा अध्याय लिखा गया. यहां से एक नए नेता का उदय हुआ. आडवाणी की जरूरत खत्म हो चुकी थी. फिर योगी को यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया गया. इधर रोज नए-नए इतिहासकार पैदा हो रहे हैं. उनका रिसर्च मजेदार है. उससे भी ज्यादा मजेदार ये है कि इनमें से अधिकांश ने स्कूल-कालेज में इतिहास को कोई खास तवज्जो नहीं दी थी. हिन्दुत्व का मतलब भी ज्यादा हिन्दू या ज्यादा सनातन होना नहीं है. इसका मकसद छह-सात सौ साल पुराने इतिहास की फसल काटना है. बाबर 1520 में भारत आया था. खूब मारकाट और तोड़फोड़ मचाई थी. पर 1858 में जब ब्रिटिश सरकार बनी, तब तक मुगलों ने भारत का नक्शा ही बदल दिया था. पर इसका उल्लेख इस इतिहास में नहीं है. अंग्रेजों को भगाने से लेकर आजाद भारत को गढ़ने में मुसलमानों ने एक सच्चे भारतीय की भूमिका भी निभाई. आज भी निभा रहे हैं. दरअसल परहेज मुसलमानों से नहीं है. हिन्दुत्व की नई बयार केवल हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए है. इसे ऐसा ही समझें और चिल करें.