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शंकराचार्य महाविद्यालय में रक्त समूह जाच एवं वन्य जीव सप्ताह का आयोजन

Oct 12, 2022
Blood group camp at Khamaria by SSMV

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग के बीएससी तृतीय वर्ष (बायो ग्रुप) विद्यार्थियों विद्यार्थियों ने खमहरिया गांव के लोगों की निःशुल्क रक्त समूह जांच की. 47 ग्रामीणों ने इसका लाभ उठाया. कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति को अपने रक्त समूह के बारे में पता हो ताकि जरूरत पड़ने पर वे एक दूसरे की मदद कर सकें. प्रभारी प्राचार्य डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि रक्त समूह जांच शिविर में भारी संख्या में ग्रामीण पहुंचे. ग्रामीणों को रक्त दान के बारे में जागरूक किया गया जिससे कई लोगों को नया जीवन मिलता है.
महाविद्यालय की उप प्राचार्य डॉ .अर्चना झा ने कहा ने विद्यार्थियों के इस कार्य की सराहना करते हुए उनका मनोबल एवं उत्साह बढ़ाया और कहा इससे विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास होगा. ऐसे आयोजन समय समय पर होते रहने चाहिए, जिससे आमजन को निःशुल्क रक्त समूह जांच शिविर का लाभ मिलता रहे.
कार्यक्रम का संचालन प्राणीशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सोनिया बजाज ने किया प् उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व ही न रह जाएगा, उसका जीवन संकट में पड़ जायेगा. इसलिए वन्यजीवों के महत्व को समझने व इनके प्रति जागरूक रहने के लिए सम्पूर्ण विश्व में एक अभियान के रूप में वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है. वन्य जीवों की सुरक्षा के लिये प्रत्येक व्यक्ति को आगे लाने के लिए भारतीय वन्य जीव बोर्ड ने वन्यजीव सप्ताह मनाने का निर्णय लिया और तब से यह 2 से 8 अक्टूबर तक प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है. आज प्रकृति से जो भी प्राप्त हो रहा है, सबकी कुछ न कुछ महत्ता है. चाहे वह जीव हो या पेड़-पौधे, सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. आज यदि वृक्ष हैं तो ही मानव और प्राणियों का जीवन सम्भव है. मानव हस्तक्षेप के द्वारा आज लगभग 41 हजार से भी अधिक जीवों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं. उनका जीवन संकट में पड़ने लगा है. ऐसा क्यों? क्या हम भूल बैठे हैं कि उनके न रहने से हमारा जीवन भी संकट में पड़ जाएगा, प्रकृति का सारा सन्तुलन बिगड़ जाएगा. विलुप्त हो रही पशु-पक्षी, पेड़-पौधों की प्रजातियों से प्रकति का सन्तुलन बिगड़ा तो मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा. तब मानव के पास केवल पछतावा होगा. न पेड़-पौधे होंगे और नहीं जीव-जंतु रह जायेंगे. यदि अब भी हमारी आँखें खुल जायें तो हम जैव विविधता के हो रहे ह्रास को दूर कर सकते हैं. हम जीव-जंतु और वनस्पतियों की रक्षा को अपना परम कर्तव्य मानकर आगे बढ़ें, तभी विकास कर पायेगें.

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