भिलाई। दीपावली से एक दिन पहले अत्यंत गंभीर अवस्था में एक गर्भवती महिला को हाइटेक हॉस्पिटल लाया गया था. छुईखदान से लाई गयी इस 19 वर्षीय नवब्याहता पूर्णिमा को मिर्गी के दौरे पड़ रहे थे. लगभग 60 किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंची गर्भवती को अस्पताल पहुंचते ही फिर से दौरा पड़ा. मेडिकल भाषा में यह स्थित एक्लेम्पसिया कहलाती है. हाइटेक की टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया और अपने अथक प्रयासों से जच्चा-बच्चा दोनों का जीवन बचाने में सफल रहे. भाईदूज के दिन दोनों को सकुशल घर रवाना कर दिया गया.
हाइटेक हॉस्पिटल के इंटेंसिविस्ट डॉ सोनल वाजपेयी ने बताया कि मिर्गी के ये दौरे गर्भावस्था प्रेरित थे. पूर्णिमा का बीपी काफी बढ़ा हुआ था. 130-200 की बीपी को गर्भवती और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए खतरनाक माना जाता है. पूर्णिमा को तत्काल वेन्टीलेटर पर लिया गया और उसकी बीपी को कंट्रोल करने की कोशिशें शुरू कर दी गईं. शाम तक स्थिति कुछ संभलने पर शिशु का जीवन बचाने के लिए स्त्री एवं प्रसूती विशेषज्ञ डॉ रेखा रत्नानी ने सिजेरियन डिलीवरी करा दी. गर्भ के आठ माह पूर्ण हो चुके थे और शिशु का वजन लगभग 2.5 किलो था. उसे एनआईसीयू में भेज कर महिला को पुनः आईसीयू में लिया गया. दो दिन बाद स्थिति पूर्ण नियंत्रण में आने के बाद उसे वेन्टीलेटर से हटाया गया और वार्ड में भेज दिया गया. भाईदूज के दिन उसे छुट्टी दे दी गई.
पूर्णिमा की मां ने बताया कि उसकी शादी को अभी एक साल नहीं हुआ है. सबकुछ ठीक चल रहा था कि एकाएक ही उसकी हालत बिगड़ी. छुईखदान के डाक्टरों ने उसे तत्काल किसी बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी. तत्काल वाहन का इंतजाम कर वे हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हास्पिटल पहुंचे. पूर्णिमा को रास्ते में भी कई बार झटके आए और अस्पताल पहुंचते तक वह बेहोश हो चुकी थी. त्यौहार से पहले परिवार पर मानो गाज गिर गया था. पर आज वे बेहद खुश हैं. दीपावली से पहले बेटी ने लक्ष्मी को जन्म दिया है और अब सबकुछ ठीक हो जाएगा. छुईखदान में उसका परिवार बेसब्री से उनके घर लौटने का इंतजार कर रहा है.