दुर्ग. भारती विश्वविद्यालय के फारेंसिक साइंस के विद्यार्थियों ने दो दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण के तहत कान्हा नेशनल पार्क का भ्रमण किया. यहां विद्यार्थियों ने बाघ, मोर, चित्तीदार हिरण, वनभैंसा, सांभर हिरण, जंगली सूअर, बारहसिंगा, नेवला आदि की प्रजातियों और उनके पदचिन्हों की पहचान के बारे में जानकारी प्राप्त की. इस दौरान विद्यार्थियों ने साल, घोस्ट ट्री, सागौन आदि पेड़ों का भी अध्ययन किया.
शैक्षणिक भ्रमण के तहत मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित कान्हा नेशनल पार्क जाने का उद्देश्य वन्यजीव फारेंसिक विज्ञान एवं फारेंसिक एंटोमोलाॅजी का अध्ययन कराना था. फारेंसिक एंटोमोलाॅजी में कीड़ांे का अध्ययन करते हैं, जिससे किसी अपराध के मामले को सुलझाने में मदद मिलती है. शरीर के अपघटन में पाये जाने वाले कीड़ों के अध्ययन से किसी मानव की मृत्यु का समय और स्थान का अंदाजा लगाया जा सकता है. वन्यजीव फारेंसिक साइंस में जानवरों व जानवरों के अंगों की अवैध तस्करी के रोकथाम में मदद मिलती है. फारेंसिक साइंस के विद्यार्थियों ने इनका प्रायोगिक अध्ययन किया.
उक्त भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक रूचि लेकर भाग लिया. इसमें कुल 12 विद्यार्थियों ने भाग लिया. शैक्षणिक भ्रमण के आयोजन में फारेंसिक साइंस विभाग की सहायक प्राध्यापक सुश्री निशा पटेल ने विशेष योगदान किया. साथ ही सहायक प्राध्यापक सुश्री डिंपल ने अपना सहयोग प्रदान किया. यह शैक्षणिक भ्रमण विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुशील चन्द्राकर, कुलपति डाॅ. एच. के. पाठक, कुलसचिव डाॅ. वीरेन्द्र कुमार स्वर्णकार, उपाध्यक्ष प्रभजोत सिंह भुई के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया.